राकेश सिंह/१२ मार्च २०११
बिहार का प्रसिद्ध सिंघेश्वर मेला अभी अपने चरम पर है.इस बार मेले में स्टॉल और दुकानों की संख्यां भी पहले से ज्यादा है.भीड़ भी खूब है और भीड़ देखकर लगता है कि पूरा का पूरा वॉलीवुड सिंघेश्वर में ही जमा है.अति फैशन में लड़के-लड़कियां मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं. पर जो एक बात जो इस बार नही दिख रही है वो है दुकानदारों के चेहरे पर खुशी.बताया गया कि
इस बार मेले में बिक्री बहुत ही कम है.भेलपुरी बेचने वाले अनिल गुप्ता कहते हैं कि सात साल से आ रहा हूँ,पर इस बार जैसी थर्ड क्लास बिक्री कभी नही थी.क्या हो गया है लोगों को समझ में नही आता.अन्य दुकानदारों का भी यही हाल है.आखिर क्या हुआ इस बार मेले में जो ऐसी नौबत आ गयी.
इस बार मेले में बिक्री बहुत ही कम है.भेलपुरी बेचने वाले अनिल गुप्ता कहते हैं कि सात साल से आ रहा हूँ,पर इस बार जैसी थर्ड क्लास बिक्री कभी नही थी.क्या हो गया है लोगों को समझ में नही आता.अन्य दुकानदारों का भी यही हाल है.आखिर क्या हुआ इस बार मेले में जो ऐसी नौबत आ गयी.
दरअसल महंगाई की मार इस बार सिंघेश्वर मेला भी झेल रहा है.एक दूसरा बड़ा कारण है कि जो चीजें मेले में बिक रही हैं वो मार्केट में भी उपलब्ध है ही.इस पर जब हमने मेला देखकर लौट रही रामपट्टी की सुषमा से यह जानना चाहा कि वह खाली हाथ क्यों वापस जा रही है,क्या उसने मेले में कुछ नही खरीदा तो उसने बताया कि मेले में बिक रही सारी चीजें सिंघेश्वर या मधेपुरा के मार्केट में है ही,और यहाँ के सामान की क्या गारंटी? पर वास्तव में बिक्री कम होने का सिर्फ यही कारण नही है जो सुषमा कह रही है.ऐसा होता तो पिछले सालों में भी बिक्री कम हुई होती,क्योंकि पिछले साल भी तो मेले की चीजें स्थानीय मार्केट में उपलब्ध थीं.और इसी बात की सत्यता परखने हम उस दिशा की ओर बढ़े जिधर ढेर सारे झूले लगे थे.मेले में आये विभिन्न प्रकार के झूले स्थानीय बाजार में आमतौर पर उपलब्ध नही रहते हैं.पर यहाँ का नजारा सारी स्थिति स्पष्ट कर गया.यहाँ भी झूले पर चढ़ने वालों की संख्यां कोई खास नही दिखी.' ब्रेक डांस' झूला चलाने वाले संतोष कहते हैं कि इस बार पिछले साल जैसी आमदनी नही है.चढ़ने वाले से ज्यादा भीड़ देखने वालों की है.
बहुत सारे लोगो का कहना है कि ये महंगाई का असर है, दुकानदारों ने सामानों की कीमत भी बढ़ा कर रखी है और बहुत से लोगों को 'ब्रांडेड' सामान खरीदने की आदत भी हाल के दिनों में लग चुकी है,जिसकी वजह से ये स्थिति उत्पन्न हुई है.
जो भी हो,मेले में बहुत से आयटम्स हैं जो देखने योग्य है और यूं ही सिंघेश्वर मेला को सोनपुर के बाद बिहार का सबसे बड़ा मेला नही कहा जाता है.
महंगाई की मार मेले पर भी:भीड़ अधिक और बिक्री कम
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 12, 2011
Rating:
No comments: