अंगद कुमार/२३ मार्च २०११
आज बिहार अपनी स्थापना की ९९वीं वर्षगाँठ मना रहा है और बिहार सरकार स्थापना दिवस यानि बिहार दिवस के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च कर इस उत्सव को मनाने में रंग भर रही है.इस समारोह में बिहार के विकास एवं बिहार वासियों के हित के लिए नए-पुराने कवायद गढे जायेंगे.लेकिन सच तो यह है किसी भी देश,प्रदेश के विकास के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ा अवरोधक है.बिहार सरकार का कोई भी महकमा ऐसा नही है जो भ्रष्टाचार के संक्रमण से संक्रमित न हो.ऐसी स्थिति में भ्रष्टाचार के विरूद्ध दंभ भरने वाले बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के लिए बिहारवासियों को भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था प्रदान करना एक कठिन चुनौती ही है,जहाँ आपदा की घड़ी में भी सरकारी अथवा प्रशासनिक महकमे के लोग अपने भ्रष्ट कारगुजारियों से बाज नही आते.
इससे जुड़े प्रमाणिक तथ्यों पर आधारित कोशी त्रासदी २००८ “महाघोटाले का पर्दाफाश-चौथी कड़ी” पेश की जाती है.
संदेहास्पद योजनास्थल पर ३.६१ करोड़ रूपये का व्यय
कोशी त्रासदी-२००८ के उपरान्त मधेपुरा जिले के आलमनगर प्रखंड के अंतर्गत गठित टास्क फ़ोर्स के द्वारा यातायात पुनर्स्थापन कार्यों/पथों के मरम्मति कार्यों में ऐसे योजना कार्यों पर ३ करोड़ ६१ लाख १५ हजार ५८५ रूपये का व्यय कराया गया है,जिन योजना कार्यों का योजना स्थल ही संदेहास्पद है.उदाहरण स्वरुप आलमनगर सोनामुखी पथ में यातायात पुनर्स्थापन कार्य,खुरहान परेल कपसिया पथ में यातायात पुनर्स्थापन कार्य,आलमनगर बुधमा माली चौक में यातायात पुनर्स्थापन कार्य आदि.योजना कार्यों के ऐसे नामों से यह कतई स्पष्ट नही होता है की उक्त कार्य किस खास स्थान पर संपादित किया गया है.ऐसी स्थिति में ऐसा माना जा सकता है कि सम्पूर्ण पथों में मरम्मति अथवा यातायात पुनर्स्थापन कार्य एक ही योजना कार्य के अंतर्गत किया गया हो और शेष योजना कार्यों के किये जाने की कागजी खानापूर्ति की गयी हो.ज्ञात हो कि उक्त पथों में इन योजना कार्यों के अलावे खास योजनास्थल को दर्शाते हुए भी कई कार्य किये गए हैं तथा कार्यों के लिए भुगतान भी.जैसे आलमनगर सोनामुखी पथ के प्रथम किमी में यातायात पुनर्स्थापन कार्य,आलमनगर बुधमा मालीचौक पथ के ३रा एवं ४था किमी में यातायात पुनर्स्थापन कार्य.इनमे तो यह स्पष्ट है कि किन स्थानों पर ये काम किये गए है,जबकि पूर्व में बताये गए योजना से स्थल का पता नही चलता है.
आलमनगर प्रखंड के अंतर्गत संदेहास्पद योजना स्थल से जुड़े प्रमुख योजना कार्यों के नाम और कार्यों के लिए कार्यकारी एजेंसी/संवेदक को भुगतान की गयी अथवा भुगतान के लिए लंबित राशि है- ३ करोड़ ६१ लाख १५ हजार ५८५ रूपये.
उपरोक्त योजना कार्यों के अलावे भी आलमनगर प्रखंड अंतर्गत कई अन्य छोटी-बड़ी योजना कार्य ऐसे हैं,जिनका योजनास्थल सन्देहास्पद है और ऐसे कार्यों पर संवेदक को भुगतान की गयी राशि महज सरकारी राशि के लूट का ही हिस्सा माना जा सकता है.और ऐसे कार्यों में टास्क फ़ोर्स की संलिप्तता से इनकार नही किया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि बड़ी फटोरिया से कारू बाबा सीन तक पथ में मरम्मति कार्य योजना में जहाँ पहली बार ११ लाख ५६ हजार २२३ रूपये व्यय दिखाया गया है,वहीं दूसरी बार २९ लाख ५४ हजार ५३४ रूपये का व्यय तथा तीसरी बार इसी पथ को बढाते हुए बड़ी फटोरिया से कारू बाबा सीन से आलमनगर पथ में मरम्मति कार्य के लिए ३३ लाख ११ हजार ७७९ रूपये भुगतान के लिए लंबित है.
बज्राहा लोकाधार पथ में यातायात पुनर्स्थापन कार्य के प्रथम प्राक्कलन १२,२५,६४७ रूपये के विरूद्ध संवेदक को मापी पुस्त के मुताबिक़ ११,२६,६१८ रूपये का भुगतान किया जाना तथा उसी कार्य हेतु दूसरे प्राक्कलन १२,७३,५७१ रूपये के विरूद्ध १२,३६,७६८ रूपये के मापीपुस्त के मुताबिक़ संवेदक का भुगतान लंबित रहना चौंकाने वाले हैं.गौरब्तलब है कि दोनों ही योजना कार्यों के एक ही संवेदक हैं.
उपरोक्त सामने आये सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि ऐसे योजना कार्यों के नाम पर भारीभरकम राशि का व्यय और कार्यकारी एजेंसी का भुगतान किया जाना,जिनका योजना स्थल ही अस्पष्ट एवं संदेहास्पद है, मात्र सरकारी राशि का दुर्वियोजन एवं लूट ही माना जा सकता है और ऐसे कार्यों के लिए टास्क फ़ोर्स के अधिकारियों को उत्तरदायी माना जा सकता है.
“महाघोटाले का पर्दाफाश:कड़ी नं०.4”
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 23, 2011
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Let people be reminded that NO ACTION has been taken.
ReplyDeleteI know OFFICIALS whose ASSETS both physical and MATERIAL have multiplied or rather blown OUT OF ALL Proportions, and NO action has been taken or is likely to be taken. The rule for declaration of ASSETS of officials is the biggest JOKE played on the people of Bihar.
ReplyDeleteबिहार दिवस पर सरकार जो भी उपलब्धियां गिनवा दे,मधेपुरा की स्थिति में कोई खास सुधार नही आया है.अब बिजली पहले से भी घटिया,आवागमन समाप्त,मधेपुरा का लिंक बिहार के बाक़ी जगहों से भंग ही माना जाय,डुमरी पुल के कारण सड़क मार्ग घटिया,रेल के मामले में यहाँ के लोगों को ठग रहे हैं नेता.कुल मिलाकर मधेपुरा का विकास नही के बराबर हुआ है,सिर्फ प्रशासन ने बिहार दिवस पर कार्यालयों को सजा कर अपनी पीठ थपथपाई है.
ReplyDeleteMahaghotale ki baat ho rahi thi aur Dilip jee ne ek aur ghotale ki baat kar di bihar diwas mana kar sarkar jo bhi batana chah rahi ho par samay mahaghotalo ke naam hai.Madhepura times ke madhyam se Angad jee ko dhanyabad aur madhepura times jisne aise news ko published karne ka abhutpurva karya kiya hai,ko bahut bahut dhanyabad .Madhepura me bijli ki kami aawagaman ki kami aadi Madhepura ki janta ko dhokha nena hi to hai.
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