संगीन मामलों में बिना जांच के भी दर्ज हो एफआईआर: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि संगीन मामलों में पुलिस बिना जांच के भी एफआईआर दर्ज करे. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में गिरफ्तारी भले ही जांच के बाद की जाए, पर एफआईआर दर्ज करने में देर नहीं होनी चाहिए.               
            सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक झगड़े, कारोबारी विवाद, भ्रष्टाचार के मामले या फिर घटना के 90 दिन बीत जाने पर दर्ज होने वाले मामलों में शुरुआती जांच की जा सकती है. पर एक हफ्ते के भीतर पुलिस को शुरुआती जांच कर तय करना होगा कि मामला दर्ज होगा या खत्म होगा.
               यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश पी. सदाशिवम सहित पांच जजों की एक बेंच ने दिया है. न्यायालय के इस फैसले से पहले किसी मामले में एफआईआर दर्ज होगी या नहीं, यह फैसला पुलिस का होता था. लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद पुलिस को संज्ञेय (कौग्निजेबल) मामलों में एफआईआर दर्ज करना होगा और उसे प्राथमिक जांच के भी रिकॉर्ड रखने होंगे. एफआईआर दर्ज नहीं करने पर ये न्यायालय की अवमानना (कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट) मानी जा सकती है और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी.
        सुप्रीम कोर्ट का आज का ये फैसला उत्तर प्रदेश में वर्ष 2008 में हुए एक छ: साल के बच्चे के अपहरण को लेकर था जिसमें एफआईआर दर्ज करने के लिए अपहृत के पिता से रिश्वत कि मांग करने का आरोप पुलिस पर लगा था.
         जानकारों का मानना है कि दर्ज केश की संख्यां बढ़ने पर क्षेत्र में अपराध का बढ़ना माना जाता है, इस वजह से भी पूरे देश में कई पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करते हैं या फिर उन्हें संगीन मामलों में एफआईआर दर्ज करने के स्टेज से ही रिश्वत की तलाश रहती है. न्यायालय का आज का महत्वपूर्ण फैसला ऐसे पुलिस अधिकारियों के लिए एक बड़ा सेटबैक है.
(ब्यूरो रिपोर्ट)
[FIR is must in cognizable offence]
संगीन मामलों में बिना जांच के भी दर्ज हो एफआईआर: सुप्रीम कोर्ट संगीन मामलों में बिना जांच के भी दर्ज हो एफआईआर: सुप्रीम कोर्ट Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 12, 2013 Rating: 5

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