मधेपुरा में दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज करने में बरती जाती है कोताही

 |नि.प्र.| 15 मई 2013|
वैसे तो दुष्कर्म के मामले राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है, और मधेपुरा जिला भी इससे अछूता नहीं है. पर पूर्व से ही बदनाम रही बिहार पुलिस कम से कम मधेपुरा में इस मामले में कई मौके पर गंभीर नजर नहीं आती. हालात ये है कि पीड़िता का दर्द और भी बढ़ता नजर आता है.
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाते पुलिस अधिकारी
      मधेपुरा थाना के अंतर्गत साहुगढ़ में मंगलवार की दोपहर रीना के साथ तब दुष्कर्म का प्रयास हुआ जब वह स्नान करके घर में घुसी थी. हल्ला पर लोगों ने आरोपी शिवा ऋषिदेव को तो धर दबोचा पर शिवा के सहयोगियों ने उसे छुड़ा लिया. शिवा के बारे में कहा जाता है कि चारित्रिक हीनता उसके स्वभाव में ही है और वह पूर्व में भी बदनाम रह चुका है.
      बच्ची अपने परिजन के साथ मामला दर्ज कराने मधेपुरा थाना पहुंचती है. उल्लेखनीय है कि बलात्कार के प्रयास की खबर मीडिया सहित मधेपुरा के कई लोगों तक पहले पहुंचती और मधेपुरा थाना को बाद में मिलती है जबकि पुलिस के सूत्र अधिक जवाबदेह होने चाहिए. मधेपुरा थाना में पीड़िता बयान दर्ज करवाने के लिए चक्कर काटने लगती है, पर मामले की जानकारी मिलने पर भी प्रभारी थानाध्यक्ष भोला सिंह सिगरेट की कसें लेते रहते हैं. मानो जिले के बहन-बेटी की आबरू लुटना तो आम बात है.
         थाने पर बैठे पुलिस पदाधिकारी वहां मीडियाकर्मियों के होने पर खिन्नता प्रकट करते हैं. सब-इन्स्पेक्टर तिवारी कहते हैं आपलोग ही ले आते हैं इनलोगों को शिकायत करवाने और केस बढ़वाते हैं. इनकी खिन्नता समझ से परे नहीं, शायद अब मैनेज करना थोड़ा कठिन होगा.
थाना पर चक्कर लगाती पीड़िता व परिजन
      फिर जब काफी देर के बाद रिपोर्ट लिखने की बात आती है तो पहले पीड़िता का बयान पुलिस पदाधिकारी खुद दर्ज करने की बजाय एक थाना पर अक्सर जमे रहने वाले एक अधिवक्ता से
दर्ज करवाने लगते हैं. यहाँ पुलिस और कथित अधिवक्ता के ज्ञान को दाद देनी चाहिए कि दुष्कर्म के मामले में पीड़िता पुरुषों के द्वारा दागे कई अंदर के सवालों का जवाब सहजता से कैसे दे सकेगी ? मीडिया की दखलंदाजी के बाद थाने के एक सब इन्स्पेक्टर मंगलेश कुमार मधुकर गंभीर होते हैं और डीएसपी द्वारिका पाल को सूचित करते हैं और मानते हैं कि ऐसे मामलों में पीड़िता की पूछताछ महिला पुलिस के द्वारा ही होनी चाहिए. उसके बाद महिला कॉन्स्टेबल बुलवाकर पीड़िता से पूछताछ कर रिपोर्ट (मधेपुरा थाना कांड संख्यां 285/2013) दर्ज किया जाता है.
      पूरे हालात को समझना ज्यादा मुश्किल नहीं. आराम पसंद मधेपुरा पुलिस अब मामले दर्ज नहीं करना चाहती. और यदि मामला दर्ज करना भी पड़ जाय तो मामले की गंभीरता कम होनी चाहिए. हाल के दिनों में भी मधेपुरा थाना अपराध कम करने में शायद ही सफल रही है पर पुलिस मैन्यूअल और सीआरपीसी की धज्जी उडाकर दो-चार मामलों का एक ही एफआईआर दर्ज कर दर्ज मामले में कमी तो उन्होंने कर ही ली थी.   
       जाहिर सी बात है पुलिस की ऐसी हरकतों से अपराधियों का मनोबल ऊँचा होगा और दुष्कर्म या प्रयास सरीखे मामले को इस तरह लेने से छेडछाड और दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं में शायद ही कमी आ सकेगी.
मधेपुरा में दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज करने में बरती जाती है कोताही मधेपुरा में दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज करने में बरती जाती है कोताही Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 15, 2013 Rating: 5

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