(10 फरवरी 2013)
भारतीय संस्कृति हमें माता-पिता और गुरु के आगे
साष्टांग प्रणाम करना सिखाती है पर आज भारतीय संस्कृति धूमिल हो रही है. 14 फरवरी ‘प्रेम दिवस’ (वेलेंटाइन डे) के रूप को हम
क्यों मोडें, क्यों न हम इस दिन को उनके चरण में दें जो हमें विश्व में सबसे
ज्यादा प्रेम करते हैं. हम सब जानते हैं कि विश्व में हमें सबसे ज्यादा प्रेम करने
वाले हमारे माता-पिता हैं. इसलिए हम 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे को मातृ-पितृ पूजन
दिवस के रूप में मनाएं.
इन
बातों की चर्चा करते हुए शनिवार को इस सम्बन्ध में संत श्री आशाराम बापू सेवा
समिति मधेपुरा की एक बैठक स्थानीय साधक डी. के. चौधरी के आवास पर आयोजित की गई और
इस बैठक में सर्वसम्मति से 14 फरवरी को को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने
का निर्णय लिया गया.
इस अवसर
पर बैठक में के. के. भारती, राहुल कुमार यादव, प्रवीन कुमार, अविनाश कुमार, कवी
कुमार, राजेश, नीतीश, इंगलेश, आलोक, ज्योतिष, प्रीति, रूपम, कुंदन, सोना, रुचि,
लवली, पूजा सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे.
14 फरवरी को वेलन्टाइन नहीं मातृ-पितृ दिवस मनाएंगे बापू के कार्यकर्ता
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 10, 2013
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aaj tak mai samajhta tha ki is pakhandio ka hamare sahar mai nahi chalega,but is dharm k dalalo ne hamare town ko v nahi chhora,,mother father day manane se khuchh nahi hoga ye dikhawa jarooro nahi hai.haa mother father k lie dil mai jagah hai,aur wo hamare lie duniya k pehle velentine hai ,
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