भक्ति बनाम मस्ती:मंदिर की बजाय थियेटर में उमडती है भीड़

वि० सं०/०२ मार्च २०१२
सिंघेश्वर का प्रसिद्ध मेला अपने उफान पर है.दिन भर लोगों की भीड़ यहाँ जमी रहती है.देखने को इस मेले में इस बार अनेकों चीजें हैं.मौत का कुआं, सर्कस, सिनेमा, विभिन्न प्रकार के झूले, सैंकडों दुकानें आदि-आदि.दिन में तो मेला देखने आये लोगों में से बहुत से लोग बाबा के दर्शन हेतु मंदिर की ओर रूख करते भी हैं,पर शाम ढलते ही यहाँ का नजारा बदला हुआ नजर आने लगता है.मेले की भीड़ किसी खास जगह एकत्रित होने लगती है.और रात के नौ-दस बजे तक तो अधिकाँश भीड़ मेले में चल रहे तीन-तीन थियेटरों के इर्दगिर्द मंडराना शुरू करती है.थियेटरों के टिकट काउंटरों पर टिकट खरीदने की होती है होड़.इस दौरान बाबा भोले का मंदिर सूना सा दीख पड़ता है.भक्ति की जगह लोगों पर मस्ती का रंग चढ़ जाता है.
     पर सिंघेश्वर मेला के थिएटरों में मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता परोसी जा रही है.ज्यादा कमाने की होड़ में थियेटर मालिकों ने अपनी नृत्यांगनाओं को शायद अश्लीलता परोसने की खुली छूट दे रखी है.अपने हाव-भाव और जलवों से ये दर्शकों को वहशी बनाने का प्रयास करती हैं.और कुछ अति-उत्साहित दर्शक भी रूमाल,गमछा आदि इन सुंदरियों पर उछाल कर अपनी वीरता प्रदर्शित करते हैं और सुंदरियाँ उन्हें सहर्ष स्वीकार कर लेती हैं.इस दौरान मेला पुलिस भी मंदिर के आसपास कहीं नजर नहीं आती है.अधिकाँश पुलिस थियेटर के आसपास ही सुरक्षा व्यवस्था में लगे होते हैं और कुछ तो रात भर थियेटर की बालाओं को निहारते रहते हैं.
   थियेटर में दिखाए जाने वाली अश्लील हरकतों को प्रशासन भी नजरअंदाज किये हुई है.दरअसल ये थियेटर मालिक अपनी पहुँच ऊपर बनाये रखने में कामयाब हो जाते हैं,क्योंकि इनके पास होता है पैसा और बहुत कुछ.
भक्ति बनाम मस्ती:मंदिर की बजाय थियेटर में उमडती है भीड़ भक्ति बनाम मस्ती:मंदिर की बजाय थियेटर में उमडती है भीड़ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 02, 2012 Rating: 5

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