स्थानीय महर्षि मेंही नगर आश्रम से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुषों द्वारा भव्य प्रभातफेरी निकाली गई। संतमत के अनुयायियों द्वारा गाजे-बाजे के साथ पैदल, ट्रैक्टर, मोटर वाहन, ई रिक्शा पर सवार होकर सत्संग स्थल से नगर का भ्रमण किया गया।
संतमत के प्रखंड अध्यक्ष हरदेव पोद्दार,सचिव जीतेन्द्र प्रसाद यादव ने बताया कि महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के सिर पर जन्म से ही सात जटाएं थी। जिसे कंघी से सुलझा दिए जाने के बावजूद दोबारा फिर वह जटा बन जाता था। उन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान ही पूर्णिया में परीक्षा देने के दौरान अपनी परीक्षा की कापी में लिखा कि देह धरे का यही फल भाई भजिए राम सब काम बिहाई। लिखकर ईश्वर की खोज में निकल पड़े। उनका जन्म 28 अप्रैल 1885 ई.को उदाकिशुनगंज के खोखसी श्याम में हुआ था। जबकि उनका परिनिर्वाण 8 जून 1986 ई.को कुप्पाघाट भागलपुर में हुआ।
उक्त समारोह में शिवशंकर ठाकुर, डा. विजय कुमार, दिलीप साह, श्रीकांत पौद्दार, विकास दास,विलास भगत, रूपक भगत,सहदेव साह शिवम्, सुंदरम्, मनीष कुमार के अलावे अन्य उपस्थित थे।
(रिपोर्ट: रानी देवी/ मधेपुरा टाइम्स)

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