अपने मांग पत्र में संगठन ने बाढ़ की स्थिति बताते हुए, बाढ़ से पूर्व तैयारियों और बाढ़ के समय चल रहे प्रयास को नाकाफी बताया है. संगठन ने बाढ़ घोषित करने के सरकारी दिशा निर्देश का स्मरण कराया है.
अपनी मांग पत्र में संगठन ने बाढ़ घोषित करने के साथ राहत व बचाव कार्य तेज करने, सभी बाढ़ पीड़ितो को सूखा राशन देने, कटाव पीड़ितों गांवों अन्य गांवों में कम्यूनिटी किचन शुरू करने, कटाव पीड़ितों को सरकारी नावों से निकाले जाने की मांग की है. इसके अलावे जी आर के 7000 रूपये का भुगतान सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों के देने, कटाव पीड़ितों को गृह क्षति सर्वे कराकर दिलाने, तटबंध के बीच में मूंग, धान, बिचड़ा के बर्बादी का सर्वे कराकर किसानों को फसल इनपुट अनुदान देने, सभी घाटों पर अनुबंधित नावों के बोर्ड/फ्लैक्स लगवाये जाने, नावों पर मोबाइल डिस्पेंसरी स्थापित कराकर इलाज के लिए सभी गाँवो में भेजने की मांग की है.
साथ ही मंच ने अपने उठाए जा रहे पुरानी मांगों को दुहराते हुए दीर्घकालिक सवालों पर भी जिला पदाधिकारी को पहल करने की बात उठाई है. जिसके तहत तटबंध के बीच के लोगों का सरकार सर्वे कराकर पुनर्वास से वंचित लोगों को पुनर्वास दे, कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय करने, लगान की वसूली पर रोक लगाते हुए लगान मुक्ति कानून बनाए, सर्वे में नदी की रैयती जमीन का रकबा रैयत के नाम करने सहित कोशी समस्या के समाधान के लिए पहल करे.
इस पत्र की प्रतिलिपि अपर मुख्य सचिव आपदा प्रबंधन विभाग, मुख्य सचिव और माननीय मुख्यमंत्री, बिहार को मेल से भेजा है.
(नि. सं.)

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