जेएनयू समेत कई विश्वविद्यालयों में पढ़ा चुके डॉ. जैनेन्द्र ने असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में बीएनएमयू में दिया योगदान
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग, पटना द्वारा जारी अंतिम मेधा सूची में डॉ. जैनेन्द्र को विश्वविद्यालय स्तर पर पहला रैंक प्राप्त हुआ था। विश्वविद्यालय द्वारा इन्हें स्नातकोत्तर विभाग, पश्चिम परिसर, सहरसा आवंटित किया गया।
इससे पहले डॉ. जैनेन्द्र पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अतिथि शिक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे। गौरतलब है कि इससे पहले वे दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली में भी अतिथि शिक्षक के तौर पर पढ़ा चुके हैं। इनकी पढ़ाई लिखाई पटना विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई और संयोग से इन्हें इन तीनों विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का भी मौका मिला।
इन्होंने हिंदी विषय में तीन बार नेट और एक बार जेआरएफ किया है। इन्होंने जेएनयू से एम. फिल. और पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है।
डॉ. जैनेन्द्र ने बताया कि मैं शुरू से अपने स्थानीय विश्वविद्यालय में पढ़ाना चाहता था ताकि अपने गांव-समाज के लिए कुछ कर पाऊं। मेधा सूची में ऊपर रहने के बावजूद इन्होंने अन्य अच्छे विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता नहीं दी और बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में पढ़ाने को चुना। डॉ. जैनेन्द्र मूल रूप से मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड के परमानपुर गांव के निवासी हैं। इनके पिता गणेश प्रसाद यादव अमरपुर आवासीय उच्च विद्यालय के पूर्व प्राचार्य रहे हैं।
डॉ. जैनेन्द्र के योगदान देने पर हर्ष व्यक्त करते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई कि युवा प्राध्यापकों के आने से विभाग में पढ़ाई-लिखाई का माहौल बेहतर होगा। इनके साथ-साथ डॉ. अणिमा ने भी सोमवार को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में योगदान दिया।

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