कुलपति को लिखे पत्र में राठौर ने कहा है कि अक्टूबर को रीजनल डायरेक्टर द्वारा भेजे पत्र पर कारवाई नहीं होने पर पुनः एक महीने बाद तेईस नवम्बर को पत्र भेज कारवाई की मांग के पत्र के सामने आते ही एनएसएस से जुड़े कई सवाल खड़े होने लगे हैं। एक ओर कुलपति द्वारा मामले की जानकारी नहीं होने का बयान आश्चर्यजनक रहा कि रीजनल डायरेक्टर का अति महत्वपूर्ण पत्र कुलसचिव कार्यालय से सौ मीटर की दूरी पर स्थित कुलपति कार्यालय तक की दूरी क्यों नहीं तय कर पाया यह कोई सामान्य घटना नहीं हो सकती. राठौर ने शक व्यक्त किया कि कहीं कुलपति को अंधेरे में रख फैसले लेने वाला पदाधिकारियों की टोली तो नहीं बन रही। वहीं दूसरी ओर रीजनल डायरेक्टर के पत्र में लगे आरोपों पर बीएनएमयू एनएसएस विभाग द्वारा किए गए पलटवार में यह दर्शाना कि कुलपति व कुलसचिव के मौखिक आदेश पर एनएसएस फंड से राशि निकासी की गई ...आश्चर्यजनक है।
छात्र नेता राठौर ने तल्ख लहजे में कहा है कि आखिर यह कैसी व्यवस्था है जहां अति महत्वपूर्ण पत्र चालीस दिन में सौ मीटर की दूरी तय नहीं कर पाता वहीं दूसरी ओर मौखिक आदेश पर फंड का इस्तेमाल हो रहा है जबकि जिस समय की यह घटना है उस समय आयोजन को लेकर कुलपति व कुलसचिव दोनों कार्यालय अवधि के बाद देर रात तक परिसर में रहे. फिर मौखिक आदेश के सहारे राशि निकासी की नौबत क्यों आईं। उन्होंने कहा कि रीजनल डायरेक्टर के पत्र ने आंतरिक कुव्यवस्था को सामने ला दिया है ऐसा भी लगता है कि विभिन्न मदों के फंड का खूब बन्दर बांट हो रहा है, एनएसएस गलती से मोहरा बन गया। ऐसी कोढ़ वाली व्यवस्था में जड़ से सुधार की जरूरत है। राठौर ने पत्र में ऐसे प्रकरण पर नाराजगी जताते कहा है कि अविलंब इसे सुलझाया जाए अन्यथा संगठन पूरी तैयारी के साथ हल्ला बोल पोल खोल की मुहिम छेड़ेगा।

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