इस मौके पर रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट करते हुए ब्रह्माकुमारी रूबी बहन ने कहा कि रक्षाबंधन बुराइयों से रक्षा का यादगार पर्व है। स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा शिव आकर हमें मन-वचन-कर्म की पवित्रता का कंगन बांधते हैं, आत्म-स्मृति का तिलक लगाते हैं, प्रतिदिन ज्ञान के मधुर बोल की मिठाई खिलाते हैं और बदले में हमसे पांच विकारों रूपी खोटे सिक्के लेकर हमें 21 जन्मों के लिए सुख-शान्ति-समृद्धि से संपन्नता का वरदान दे देते हैं और हम हर प्रकार से सुरक्षित हो जाते हैं। इसी के यादगार में रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। ऐसे तो कोई भी बंधन दु:खदायी होता है, लेकिन जब हम स्वयं को परमात्मा की आज्ञा के बंधन में बांध लेते हैं तो हमारा जीवन सदा के लिए सुखी और सुरक्षित हो जाता है। इसलिए यह बंधन सुखदायी बंधन है।
इस पावन मौके पर रूबी बहन ने सभी को राखी बांधी, तिलक लगाया और सभी का मुख मीठा कराया।
आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से इंद्रचंद्र बोथरा, राधा भूत, प्रदीप भगत, गिरजा अग्रवाल, इंदिरा चौधरी, रमेश भाई, राकेश भाई सहित दर्जनों भाई-बहन उपस्थित थे।
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