बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के प्रतिमा स्थल को सजाया गया था. कोरोना काल के कारण जयंती समारोह कार्यक्रम की रूपरेखा छोटा रहा. वक्ताओं ने बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन एवं उनके आदतों पर प्रकाश डाला.
कहा कि बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर के निकट महू छावनी में महार जाति के परिवार में हुआ था. उन्होंने पिछड़े समाज के लोगों को शिक्षा के महत्व को बताया. साथ ही उन्होंने लोगों को सामान्य अधिकार दिलाने के लिए संविधान की रचना की. वे महान बुद्धिजीवी व 11 भाषाओं के ज्ञाता थे. बहुजन समाज के लिए उनका कहना था कि एक रोटी कम खाओ लेकिन अपने बच्चों को शिक्षित बनाओ. इस दौरान दर्जनों वक्ताओं ने अपने अभिव्यक्ति से बाबा साहब के जीवन चित्र पर प्रकाश डाला.
1931 में उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के विरोध के बावजूद दूसरी गोलमेज कांफ्रेंस में दलितों के लिए अलग निर्वाचन का अधिकार प्राप्त करके देशभर में हलचल मचा दी. गांधी जी के अनशन के बाद डॉ. अम्बेडकर व कांग्रेस के बीच 24 सितम्बर, 1932 को ‘पूना पैक्ट’ के नाम एक समझौता हुआ और डॉ. अम्बेडकर को भारी मन से कई तरह के दबावों के चलते दलितों के लिए अलग निर्वाचन की माँग वापस लेनी पड़ी लेकिन इसके जवाब में उन्होंने वर्ष 1936 में ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ की स्थापना करके अपने घोषणा पत्र में अछूतों के उत्थान का एजेण्डा घोषित कर दिया. अब शोषित समाज डॉ. अम्बेडकर को अपने मसीहा के रूप में देखने लग गया था. इसी के परिणास्वरूप वर्ष 1937 के आम चुनावों में डॉ. अम्बेडकर को भारी बहुमत से अभूतपूर्व विजय हासिल हुई.
मौके पर राजद प्रदेश महासचिव देवकिशोर यादव, नप पार्षद सह युवा राजद प्रदेश महासचिव डॉ मनोज यादव, से.नि. शिक्षक महेश्वरी राम, रामकृष्ण मंडल, संजय झा, उमाशंकर, अजय कुमार, रंधीर यादव, राकेश राम, भास्कर यादव, मनोज राम, सुभाषचंद्र राम, गुड्डू भगत, बैद्यनाथ राम, पवन राम, फिरोज मंसूरी सहित दर्जनों लोग मौजूद थे.
 Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
April 14, 2021
 
        Rating:
 
        Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
April 14, 2021
 
        Rating: 
 
 


 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
.jpeg) 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
No comments: