'कोई नहीं रोएगा, मैंने अपना बेटा देश को दे दिया': जली आशीष की चिता तो हजारों आँखें हुई नम

गत रविवार की शाम हरियाणा के कैथल में कार दुर्घटना में पत्नी तथा बेटी के साथ मौत की आगोश में समा जाने वाले मधेपुरा के सुखासन के बीएसफ जवान आशीष कुमार सिंह का शव मधेपुरा पहुँचने से पहले से ही मधेपुरा के कॉलेज चौक से सुखासन जाने के लिए हजारों की भीड़ जमा थी. आशीष भैया अमर रहे, बन्दे मातरम् आदि की जयघोष के बीच पंजाब के फिरोजपुर, जहाँ आशीष तैनात थे, से अधिकारियों की टीम आशीष, उनकी पत्नी सोनी तथा महज 5 साल की बेटी हंसिका के शव के साथ पहुंचे तो लोगों का हुजूम उनकी अंतिम यात्रा में

शामिल हो गया. मधेपुरा से सुखासन तक की शव यात्रा में शामिल भीड़ बता रही थी कि मधेपुरा के इस लाल के लिए लोगों के दिलों में कितनी अधिक जगह थी.  


बताते हैं कि सुखासन गाँव के अवधेश सिंह के एकलौते पुत्र आशीष (उम्र करीब 35 साल) एक उम्दा और हंसमुख इंसान होने के साथ बेहद अच्छे क्रिकेटर भी रहे थे. घर और गाँव से इतना लगाव कि अभी तो छठ में छुट्टी लेकर गाँव आये थे और छुट्टी बिताकर वापस जा रहे थे. दिल्ली तक ट्रेन का सफ़र तो ठीक रहा पर किसे पता था कि आगे के सफ़र की कोई मंजिल ही नहीं होगी. 


शव गाँव पहुँचने से पहले से गाँव तक की सड़कों पर लोग हाथों में तिरंगा लेकर उनके सम्मान में खड़े थे. दरवाजे पर बेटे के शव के इन्तजार में खड़ी माँ बार-बार लोगों को समझा रही थी कि कोई रोएगा नहीं, मैंने अपना बेटा देश के नाम पहले ही कर दिया था. पर इस बेटे के लिए हजारों नम आखों से छूटे अश्रु की धारा को भला ऐसे भावुक क्षण में कौन रोक सकता था. कुछ ही देर में अपनों की चीत्कार ने माहौल को बेहद गमगीन कर दिया.

सैनिक सम्मान के साथ इस छोटी सी उम्र में आशीष और उसका हँसता-खेलता परिवार भले पंचतत्व में विलीन हो गया, पर उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ ने बता दिया कि देश कि रक्षा करने वाले सैनिकों का स्थान हमारे लिए सबसे ऊपर है.

'कोई नहीं रोएगा, मैंने अपना बेटा देश को दे दिया': जली आशीष की चिता तो हजारों आँखें हुई नम 'कोई नहीं रोएगा, मैंने अपना बेटा देश को दे दिया': जली आशीष की चिता तो हजारों आँखें हुई नम Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 09, 2020 Rating: 5

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