जज्बा संघर्ष का: दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी के रूप में हुआ चयन, कभी पिता के साथ दिल्ली गए थे मजदूरी करने

डॉ. ए. पी.जे.अब्दुल कलाम ने कहा था कि "अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं ,तो आपको पहले सूर्य की तरह जलना भी होगा।" उनके इस कथन को सार्थक किया है सहरसा जिला के बख्तियारपुर थानांतर्गत गलफरिया गाँव के निवासी रमेश कुमार ने । 


उनका चयन दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में शोधार्थी के रूप में हुआ है । पिछले साल ही उन्होंने यूजीसी की नेट परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली है । रमेश कुमार कोसी बाँध के भीतर के  जिस इलाके से आते हैं वहाँ आज तक किसी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी का मुँह भी नहीं देखा है । दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अंग्रेजीदाँ माहौल में उन्होंने हिंदी माध्यम से सफलता प्राप्त कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है । इनके पिता का नाम स्वर्गीय सुरेंद्र प्रसाद यादव और माता का नाम श्रीमती निर्मला देवी है । 

रमेश अपने मजदूर पिता के साथ मजदूरी के लिए दिल्ली आए थे । अचानक एक दिन उनके पिता की मौत हो गयी । संघर्ष के इन  दिनों में उन्होंने ट्यूशन पढ़ा कर गुजारा किया ।  इसके लिए उन्होंने दिल्ली के सड़कों पर प्रतिदिन 60-70  किलोमीटर साईकिल चलायी लेकिन कभी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया । दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश पाने पर उनके गाँव में हर्ष का माहौल है । 
(Report: SriMant Jainendra)
जज्बा संघर्ष का: दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी के रूप में हुआ चयन, कभी पिता के साथ दिल्ली गए थे मजदूरी करने जज्बा संघर्ष का: दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी के रूप में हुआ चयन, कभी पिता के साथ दिल्ली गए थे मजदूरी करने Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 13, 2019 Rating: 5

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