'सफलता संसाधन की मुहताज नहीं': बीपीएससी में बिहार प्रशासनिक सेवा (एसडीएम) के लिए सफल होकर मधेपुरा की एक और बेटी तोसी ने बढ़ाया इलाके का मान
'किसी भी चीज को करने के लिए एक सोच की जरूरत होती है. सफलता किसी संसाधन की मुहताज नहीं होती है. इसका एक बड़ा उदाहरण हिमा दास को माना जा सकता है जिन्होंने बिना किसी पर्याप्त संसाधन के ओलम्पिक में गोल्ड मैडल जीत कर यह दर्शा दिया. आदमी अपनी क्षमता को पहचाने और संसाधन के पीछे न जाएँ. यदि मन में ठान लें तो जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है.'- कुमारी तोसी, बिहार प्रशासनिक सेवा (एसडीएम) के लिए चयनित.
मधेपुरा टाइम्स से बातचीत में कोसी की शान में इजाफा करने वाली बीपीएससी में एसडीएम के लिए चयनित मधेपुरा की बेटी कुमारी तोसी ने कई ऐसी बातें बताई जो इस इलाके के लाखों छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा का काम कर सकती है.
हम आपको बताते चलें कि मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के पड़वा की बेटी कुमारी तोसी बिहार लोक सेवा आयोग की 60-62 वीं सिविल सेवा परीक्षा में बिहार प्रशासनिक सेवा (एसडीएम) के लिए अंतिम रूप से चयनित हुई हैं. तोसी की सफलता एक अलग कहानी कह कह रही है जो उन छात्र-छात्राओं के लिए सीख है जो संसाधन का रोना रोते हैं और अपनी क्षमता को नहीं पहचान पाते हैं.
मधेपुरा से ही हुई प्रारंभिक शिक्षा पर कठिन परिश्रम में दिलाया मुकाम
19 नवम्बर 1988 को जन्मी पिता इंद्र नारायण मंडल और माता कल्याणी कुमारी की इस प्रतिभाशाली बेटी कुमारी तोसी की प्रारंभिक शिक्षा मधेपुरा जिला मुख्यालय के सेंट जॉन पब्लिक स्कूल से हुई. हाई स्कूल की पढ़ाई भी मधेपुरा के एसएनपीएम हाई स्कूल से ही हुई जहाँ से वर्ष 2003 में तोसी ने बेहतरीन अंकों से मैट्रिक की परीक्षा पास की. तोसी की अगली पढ़ाई पटना से हुई जहाँ मगध महिला कॉलेज से आई. एस-सी. और फिर प्रतिष्ठित सायंस कॉलेज से वर्ष 2009 में इन्होने जूलॉजी से बी. एस-सी. की डिग्री हासिल किया. पटना यूनिवर्सिटी से ही एम. एस-सी. करने के बाद तोसी ने वर्ष 2012 में पटना यूनिवर्सिटी से ही बी. एड. की परीक्षा पास की और वर्ष 2013 में इन्होने सहरसा जिले के महिषी के प्रोजेक्ट गर्ल्स +2 हाई स्कूल में +2 टीचर के रूप में योगदान दिया.
परेशानी के बावजूद मिली सफलता दर्शाती है सोच की दृढ़ता
बिहार लोक सेवा आयोग की इस सबसे कठिन परीक्षा में सफल होना इतना आसान नहीं होता है, पर तोसी की दृढ इच्छाशक्ति ने परिस्थिति के पूरी तरह अनुकूल न होने पर भी उसे बड़ा मुकाम दिला गई. मधेपुरा टाइम्स के संस्थापक राकेश सिंह से अपनी तैयारी के बारे में विस्तार से बताते कुमारी तोसी कहती है कि नौकरी में रहते ये करना अपेक्षाकृत कठिन था. स्कूल भी दूर था और शिक्षण भी लगातार करना था, ऐसे में तैयारी के लिए नियमित क्लास या कोचिंग संभव नहीं दिखा तो उन्होंने सेल्फ स्टडी को अपनी ताकत बनाई और कुछ मार्गदर्शकों का साथ मिला तो सारी मुश्किलें आसान होती चली गई.
तोसी ने मुख्य परीक्षा के लिए एंथ्रोपोलोजी विषय चुना और दूसरे प्रयास में ही 490वें रैंक के साथ अपने सपने सच कर दिखाए. बताती है कि दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के प्रोफ़ेसर रोशन सर, आशुतोष सर, सुरेश सर (मुख्यमंत्री के निजी सचिव), जय सर (नगर कार्यपालक पदाधिकारी), पूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण सर आदि का मार्गदर्शन उनकी सफलता में अहम है.
मधेपुरा टाइम्स के माध्यम से तोसी इलाके के अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को कहना चाहती है कि किसी भी चीज को करने के लिए एक सोच की जरूरत होती है. सफलता किसी संसाधन की मुहताज नहीं होती है. इसका एक बड़ा उदाहरण हेमा दास को माना जा सकता है जिन्होंने बिना किसी पर्याप्त संसाधन के ओलम्पिक में गोल्ड मैडल जीत कर यह दर्शा दिया. आदमी अपनी क्षमता को पहचाने और संसाधन के पीछे न जाएँ. यदि मन में ठान लें तो जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है. तोसी कहती है कि जैसे एक सेल्समैन अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए लोगों को मोटिवेट करते हैं, उसी तरह इस क्षेत्र में भी हर लोगों को अच्छी चीजों के लिए अपने बच्चों के अलावे हर किसी को मोटिवेट करनी चाहिए.
कहती हैं किसी भी व्यक्ति में क्षमता बहुत होती है, लोग उसे पहचान नहीं पाते. कोशिशें की जानी चाहिए, ये व्यक्ति को बहुत कुछ सिखा जाती हैं और बिना संघर्ष के तो कुछ भी बड़ा हासिल करना मुश्किल है.
जाहिर हैं ऐसी बेटियाँ न सिर्फ अपने इलाके और सूबे का नाम रोशन कर रही हैं बल्कि उनके लिए भी प्रेरणास्रोत हैं जो कठिन और विपरीत परिस्थितियों में उम्मीद का दामन छोड़ देते हैं. तोसी पर ये पक्तियाँ सटीक बैठती हैं कि-
“रख तू दो-चार कदम ही सही,
मगर तबियत से
कि मंजिल खुद-ब-खुद.
तेरे पास चल कर आएगी.
ए हालात का रोना रोने वाले,
मत भूल कि तेरी तदबीर ही
तेरा तकदीर बदल पाएगी.”
(Report: R. K. Singh)
मधेपुरा टाइम्स से बातचीत में कोसी की शान में इजाफा करने वाली बीपीएससी में एसडीएम के लिए चयनित मधेपुरा की बेटी कुमारी तोसी ने कई ऐसी बातें बताई जो इस इलाके के लाखों छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा का काम कर सकती है.
हम आपको बताते चलें कि मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड के पड़वा की बेटी कुमारी तोसी बिहार लोक सेवा आयोग की 60-62 वीं सिविल सेवा परीक्षा में बिहार प्रशासनिक सेवा (एसडीएम) के लिए अंतिम रूप से चयनित हुई हैं. तोसी की सफलता एक अलग कहानी कह कह रही है जो उन छात्र-छात्राओं के लिए सीख है जो संसाधन का रोना रोते हैं और अपनी क्षमता को नहीं पहचान पाते हैं.
मधेपुरा से ही हुई प्रारंभिक शिक्षा पर कठिन परिश्रम में दिलाया मुकाम
19 नवम्बर 1988 को जन्मी पिता इंद्र नारायण मंडल और माता कल्याणी कुमारी की इस प्रतिभाशाली बेटी कुमारी तोसी की प्रारंभिक शिक्षा मधेपुरा जिला मुख्यालय के सेंट जॉन पब्लिक स्कूल से हुई. हाई स्कूल की पढ़ाई भी मधेपुरा के एसएनपीएम हाई स्कूल से ही हुई जहाँ से वर्ष 2003 में तोसी ने बेहतरीन अंकों से मैट्रिक की परीक्षा पास की. तोसी की अगली पढ़ाई पटना से हुई जहाँ मगध महिला कॉलेज से आई. एस-सी. और फिर प्रतिष्ठित सायंस कॉलेज से वर्ष 2009 में इन्होने जूलॉजी से बी. एस-सी. की डिग्री हासिल किया. पटना यूनिवर्सिटी से ही एम. एस-सी. करने के बाद तोसी ने वर्ष 2012 में पटना यूनिवर्सिटी से ही बी. एड. की परीक्षा पास की और वर्ष 2013 में इन्होने सहरसा जिले के महिषी के प्रोजेक्ट गर्ल्स +2 हाई स्कूल में +2 टीचर के रूप में योगदान दिया.
परेशानी के बावजूद मिली सफलता दर्शाती है सोच की दृढ़ता
बिहार लोक सेवा आयोग की इस सबसे कठिन परीक्षा में सफल होना इतना आसान नहीं होता है, पर तोसी की दृढ इच्छाशक्ति ने परिस्थिति के पूरी तरह अनुकूल न होने पर भी उसे बड़ा मुकाम दिला गई. मधेपुरा टाइम्स के संस्थापक राकेश सिंह से अपनी तैयारी के बारे में विस्तार से बताते कुमारी तोसी कहती है कि नौकरी में रहते ये करना अपेक्षाकृत कठिन था. स्कूल भी दूर था और शिक्षण भी लगातार करना था, ऐसे में तैयारी के लिए नियमित क्लास या कोचिंग संभव नहीं दिखा तो उन्होंने सेल्फ स्टडी को अपनी ताकत बनाई और कुछ मार्गदर्शकों का साथ मिला तो सारी मुश्किलें आसान होती चली गई.
तोसी ने मुख्य परीक्षा के लिए एंथ्रोपोलोजी विषय चुना और दूसरे प्रयास में ही 490वें रैंक के साथ अपने सपने सच कर दिखाए. बताती है कि दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के प्रोफ़ेसर रोशन सर, आशुतोष सर, सुरेश सर (मुख्यमंत्री के निजी सचिव), जय सर (नगर कार्यपालक पदाधिकारी), पूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण सर आदि का मार्गदर्शन उनकी सफलता में अहम है.
मधेपुरा टाइम्स के माध्यम से तोसी इलाके के अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को कहना चाहती है कि किसी भी चीज को करने के लिए एक सोच की जरूरत होती है. सफलता किसी संसाधन की मुहताज नहीं होती है. इसका एक बड़ा उदाहरण हेमा दास को माना जा सकता है जिन्होंने बिना किसी पर्याप्त संसाधन के ओलम्पिक में गोल्ड मैडल जीत कर यह दर्शा दिया. आदमी अपनी क्षमता को पहचाने और संसाधन के पीछे न जाएँ. यदि मन में ठान लें तो जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है. तोसी कहती है कि जैसे एक सेल्समैन अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए लोगों को मोटिवेट करते हैं, उसी तरह इस क्षेत्र में भी हर लोगों को अच्छी चीजों के लिए अपने बच्चों के अलावे हर किसी को मोटिवेट करनी चाहिए.
कहती हैं किसी भी व्यक्ति में क्षमता बहुत होती है, लोग उसे पहचान नहीं पाते. कोशिशें की जानी चाहिए, ये व्यक्ति को बहुत कुछ सिखा जाती हैं और बिना संघर्ष के तो कुछ भी बड़ा हासिल करना मुश्किल है.
जाहिर हैं ऐसी बेटियाँ न सिर्फ अपने इलाके और सूबे का नाम रोशन कर रही हैं बल्कि उनके लिए भी प्रेरणास्रोत हैं जो कठिन और विपरीत परिस्थितियों में उम्मीद का दामन छोड़ देते हैं. तोसी पर ये पक्तियाँ सटीक बैठती हैं कि-
“रख तू दो-चार कदम ही सही,
मगर तबियत से
कि मंजिल खुद-ब-खुद.
तेरे पास चल कर आएगी.
ए हालात का रोना रोने वाले,
मत भूल कि तेरी तदबीर ही
तेरा तकदीर बदल पाएगी.”
(Report: R. K. Singh)
'सफलता संसाधन की मुहताज नहीं': बीपीएससी में बिहार प्रशासनिक सेवा (एसडीएम) के लिए सफल होकर मधेपुरा की एक और बेटी तोसी ने बढ़ाया इलाके का मान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 03, 2019
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