वरदान समझा गया इंटरनेट साबित हो रहा समाज का कोढ़: अश्लीलता के कारण समाज में फैल रही है विकृति (कथा का तीसरा दिन)

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान दिल्ली की ओर से मधेपुरा जिले के मुरलीगंज में नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के भव्य आयोजन के तीसरे दिन सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या सुश्री कालिंदी भारती ने षष्टम स्कंध का व्याख्यान करते हुए कहा कि अजामिल कान्यकुब्ज (प्राचीन कन्नौज) निवासी एक ब्राह्मण था। 


वह गुणी भी था और समझदार भी। उसने वेद-शास्त्रों का विधिवत अध्ययन प्राप्त किया था। अपने यहाँ आने वाले गुरुजन, सन्त तथा अतिथियों का सम्मान भी वह श्रद्धापूर्वक करता था, पर एक अश्लील दृश्य देखा और वह पतन के गर्त में गिर गया। यदि आज के सामाजिक परिवेश में देखा जाए तो हमारे चहुंओर अश्लीलता ही अश्लीलता है। अश्लील फिल्मी पोस्टर गलियों में, बाजारों में देखने को मिल जाते हैं, अश्लील गाने सुनने को मिल जाते हैं। आज मानव ने वासना और अश्लीलता की हदें पार कर दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार एन 2 एच 2 के डेटाबेस के हिसाब से इंटरनेट पर 1998 में 140 लाख अश्लील पृष्ठ थे। सन 2003 में यह बढ़कर 2600 लाख और सन 2004 में 4200 लाख हो गए।आज छः व सात वर्षों के उपरांत यह 20 गुना बढ़ चुके हैं। 8-16 वर्ष के बच्चों में से 90% बच्चे अपना होमवर्क करते हुए इंटरनेट पर अश्लील चित्र देखते हैं, बालक ही नहीं हर वर्ग व आयु आज कामुकता की इस शर्मनाक दौड़ में हांफ रहा है। 

माँ−बाप और अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की सतत निगरानी रखें और कम्प्यूटर अथवा लैपटॉप पर उन्हें देर रात्रि तक नहीं बैठने दें। स्वयं भी समय−समय पर कम्प्यूटर को देखते रहें ताकि बच्चों के मन में यह भय बना रहे कि उन्होंने कुछ भी अनुचित देखा तो माँ−बाप की नजर में आ जायेंगे। इस राक्षसी प्रवृत्ति ने शिष्ट परिवारों और सभ्य समाज की गरिमा को ध्वस्त कर देने का कुचक्र भी रच दिया है। 

इंटरनेट के सर्च इंजन 35% बार शीलहीन या अभद्र विषयों और वेबसाइटों की खोज करने में व्यस्त होते हैं। आप विचार करें आज कितनी अश्लील फिल्में, अश्लील गाने है जिनमें रिश्तेनामों की मर्यादा खत्म कर दी जाती है। और जब कोई ऐसी फिल्म देखेगा चाहे वह बच्चा हो या नौजवान उसका मन कितना दूषित हो जाएगा। दूषित व वासना से पूरित मन के कारण बलात्कार जैसी घटनाएं घट रही है, नारी शोषण हो रहा है। रिश्तो की पवित्रता व मर्यादा, वासना की वेदी पर चढ़ती जा रही है। चरित्र दिन-प्रतिदिन गिरती ही जा रही है। यदि चरित्र गिर गया तो समझें सब कुछ चला गया।

When wealth is lost, nothing is lost; when health is lost, something is lost; when character is lost, everything is lost.
तभी महापुरुषों ने कहा कि चरित्र की रक्षा करना तो प्रत्येक मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। चरित्र हमारे जीवन का सबसे अनमोल रत्न है। यही हमें सफलता की ऊंचाइयों या पतन की खाइयों में धकेलता है। शिक्षा के द्वारा चरित्र का निर्माण नहीं हो सकता क्योंकि रावण भी शिक्षित था,परन्तु उसका चरित्र गिरा हुआ था. आज शिक्षित कहलवाने वाला वर्ग चरित्रहीन हो रहा है। सद्चरित्रता शिक्षा बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती। शास्त्र कहते हैं- पहले जागरण फिर सदाचरण। जागरण की नींव पर ही सुंदर आचरण की दीवार का निर्माण संभव है। जागरण का अर्थात अपने भीतर के तत्व रूप का दर्शन करना। यह केवल एक पूर्ण गुरु की कृपा से ही संभव होती है। जागरण के पश्चात मनुष्य जान लेता है कि उसमें परमात्मा की सत्ता विराजित हैं। फिर धीरे-धीरे साधना सुमिरन द्वारा उसके कलुषित विचार दुर्भावना है एवं बुरे संस्कार ज्ञानाग्नि में भस्म हो जाते हैं। उसका चरित्र निखरता जाता है।

इस कार्यक्रम में जिन सेवादारों के द्वारा जिस सेवा विभागों को बड़े ही निष्ठापूर्वक संभाल रहे हैं। स्वामी श्री यादवेंद्रानंद जी, कथा एवं कथा टीम प्रभारी, स्वामी धनंजयानंद जी एवं संत कुमार जी पंडाल सेवा प्रभारी, स्वामी सुकर्मानंद जी सेवादार प्रभारी, स्वामी श्री रघुनंदनानंद जी एवं चंदन कुमार जी एल.ई.डी. एवं सी.सी.टीवी प्रभारी, स्वामी श्री कुंदनानंद जी कार्ड वितरण प्रभारी, स्वामी विरेन्द्रानंद जी सुरक्षा प्रभारी, अरविंद कुमार जी धनराशि सेवा, जगनारायण एवं गोपाल कुमार जी डेकोरेशन, मनीष कुमार एवं धीरज कुमार साउंड सेवा, विदुर कुमार  एवं ललन शर्मा भोजन सेवा, मनोज कुमार एवं प्रकाश कुमार बिजली सेवा, मिथिलेश कुमार सिलाई सेवा, ताराचंद एवं पितांबर जी गठरी सेवा।

आज के पावन पवित्र आरती में स्थानीय विधायक श्री निरंजन मेहता, दैनिक यजमान, श्री जवाहर प्रसाद यादव, सेवानिवृत्त स्टेशन मास्टर एवं श्रीमती निर्मला देवी, दैनिक यजमान- डॉक्टर प्रोफेसर सत्येंद्र प्रसाद यादव, श्री सुशील श्यामदेव भगत, जय कुमार यादव, पूर्व पार्षद श्री कालेश्वर पोद्दार एवं अन्य गणमान्य अतिथियों भाग लिया।

वरदान समझा गया इंटरनेट साबित हो रहा समाज का कोढ़: अश्लीलता के कारण समाज में फैल रही है विकृति (कथा का तीसरा दिन) वरदान समझा गया इंटरनेट साबित हो रहा समाज का कोढ़: अश्लीलता के कारण समाज में फैल रही है विकृति (कथा का तीसरा दिन) Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 17, 2018 Rating: 5

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