


जांच के बाद श्री सत्यजीत ने मधेपुरा टाइम्स को बताया कि सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति
सिंहेश्वर के योजना वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में
मंदिर न्यास समिति के मद से दो करोड़ 36 लाख रुपए खर्च कर कराए जा रहे निर्माण
कार्य में घोर अनियमितता बरती गई है। धार्मिक न्यास पर्षद के नियम परिनियम को ताक
पर रख कर बिना पर्षद के अनुमति से मंदिर न्यास की करोड़ों की राशि खर्च करना
वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है। लोगों की शिकायत पर न्यास समिति सदस्य के हैसियत
से शुक्रवार को निर्माण कार्य की जांच की। जांच में अनियमितता की बात सही पाई गई।
वहां स्टीमेट के अनुसार कार्य नहीं हो रहा था। आठ इंच की जगह पर चार से छह इंच
पीसीसी ढ़लाई हो रही थी। आंखों देखा पाया कि किनारे किनारे ढ़लाई को आठ इंच दिखाने
के लिए तख्ता लगाया गया था। लेकिन जब बीच में दो जगह सड़क को तोड़ कर मापी की गई तो
हर जगह चार से छह इंच ढाला गया था। मौके पर निर्माण एजेंसी के अभियंता नही दिखे, और ना ही नियमानुसार स्टीमेट की कॉपी उपलब्ध कराई गई। इससे कार्य की गुणवत्ता
पर सवाल उठता है। कार्य में अनियमितता की जानकारी बतौर सदस्य न्यास के सचिव सह
डीडीडी एवं अध्यक्ष को दे दी है और आगामी 28 जनवरी को होने वाली न्यास की बैठक में
संपूर्ण कार्य की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठायी जाएगी। साथ ही बिहार राज्य
धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष सह प्रशासक को पत्र लिख कर मामले की जानकारी दी
जाएगी।
डीडीसी सह सचिव
सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति मुकेश कुमार ने बताया कि सदस्य महोदय ने हमे बताया कि
ढलाई कहीं-कहीं मानक के अनुरूप नहीं हुआ है. 21 जनवरी तक मानव श्रृंखला की बैठक में
व्यस्त हैं । उसके बाद उसकी जांच अपने स्तर से कराएंगे ।
सिंहेश्वर मंदिर न्यास द्वारा निर्माण कार्य में घोर अनियमितता ! उच्च स्तरीय जांच की मांग
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 19, 2018
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