
एक तरफ जहाँ सरकार गरीब तबके के लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए कई प्रयास
कर रही है वहीँ आज भी गरीब तबके के अधिकांश परिवार इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं और
निजी क्लिनिक पहुंचकर आर्थिक और शारीरिक दोहन करवा रहे है ।
निजी क्लिनिक खोलकर
अपनी डिग्री लिखे आकर्षक बोर्ड के झांसे और क्लिनिक के चकाचौंध से ऐसे डाक्टर मरीज
को अपना निवाला बना लेते है ।
हाल मे मधेपुरा जिले के कई फर्जी क्लिनिक मे मरीज की जान गयी और स्वास्थ्य
विभाग ने ऐसे क्लिनिक पर अंकुश लगाने की बात भी कही लेकिन नतीजा सिफर रहा और धीरे-धीरे मामला ठंडे बस्ते मे चला गया ।
ताजा मामला चौसा के एक डाक्टर से संबंधित है जिसने पुरैनी प्रखंड के औराय गांव
की एक मासूम 12
वर्षीय बच्ची जीनत को एक हाथ से अपाहिज बना दिया है । इस बाबत पीड़ित बच्ची जीनत के
पिता मोहम्मद संजीत ने जिला उपभोक्ता फोरम मधेपुरा में शिकायत दर्ज की है. साथ ही
जिलाधिकारी को आवेदन देकर उक्त डाक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
दायर शिकायत मे जिक्र है कि चौसा मुख्यालय के गांधी चौक मुरली चौक अरजपुर रोड में
डाक्टर जेड अमीन जो की अपने पुर्जे और अपनी डिग्री बी ए एस पटना एफ ए एच एन एच नई दिल्ली हड्डी
जोड़ एवं नस रोग विशेषज्ञ लिखा हुआ है, के पास पुरैनी के औराय निवासी मोहम्मद संजीत
ने अपनी 12 वर्षीय पुत्री जीनत खातुन का इलाज बायें हाथ की हड्डी
टूटने पर करवाया. लेकिन इलाज मे लापरवाही और गलत इलाज के चलते बच्ची का हाथ बेकार
हो गया है । दिये आवेदन मे पिता की शिकायत है कि उक्त डाक्टर द्वारा पहले दिन किये
गये इलाज के बाद से ही उसका बायाँ हाथ व ऊंगली और कलाई ने काम करना बंद कर दिया ।
डाक्टर ने 13
से 14 दिन चौसा स्थित अपने क्लिनिक पर बच्ची का इलाज किया और
परिजन को ठीक करने का भरोसा दिलाकर उन्हे गुमराह कर रखा ।
लेकिन जब बच्ची का हाथ की स्थिति और खराब होती चली गई तो परिजन उसे मधेपुरा के
एक हड्डी विशेषज्ञ डाक्टर के पास ले गए । जहां डाक्टर ने बच्ची के हाथ बेकार होने
की पुष्टि की और इलाज मे अपनी असमर्थता जताते हुए कहा कि इसका इलाज नही कर सकेंगे।
फिर हताश परेशान परिजन बच्ची को लेकर भागलपुर के एक डाक्टर के पास गए जहाँ डाक्टर
ने परिजन को फटकार लगाई और कहा कि अब हाथ ठीक होना मुश्किल है हाऔर थ काटने की
नौबत आन पड़ी है । फिलहाल बच्ची का सहरसा के एक निजी क्लिनिक मे इलाज चल रहा है।और
अबतक उक्त गरीब परिजन के लाखो रूपए बर्बाद हो चुके हैं और बच्ची का हाथ भी।
बहरहाल स्वास्थ्य महकमा की बदहाल व्यवस्था की ही यह देन है कि जब जिसने चाहा
क्लिनिक खोल ली. यह धंधा चरम पर है और कौन डिग्री चेक करता है हाल ही में कई मामले
सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली थी लेकिन धीरे-धीरे सब ठंडे बस्ते मे
जाते दिखाई दे रहा है ।
इस बाबत डाक्टर जेड अमीन ने बताया कि मेरे द्वारा बच्ची का प्राथमिक उपचार
किया गया
पर परिजनों की अनदेखी की वजह से हाथ खराब हुआ है.
डॉक्टर की लापरवाही ने मासूम को बना दिया अपाहिज, हाथ काटने की नौबत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 20, 2017
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