
ऐसी ही कुछ निराली बात
बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार आशीष के साथ सन 2006-2007 में यहाँ से 9000
किलोमीटर दूर फ्रांस में हुई थी. बता दें कि श्री आशीष भारतीय पुलिस सेवा के 2012
बैच के अधिकारी हैं और अब तक मधेपुरा तथा नालंदा में एसपी के रूप में अपनी सेवा दे
चुके हैं और अपने सामुदायिक पोलिसिंग के विभिन्न सफल प्रयोगों के लिए बिहार सहित
पूरे देश में जाने जाते हैं.
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से उन्होंने फ्रेंच भाषा में स्नातक,
स्नातोकोत्तर तथा पीएचडी भी किया है. पुलिसिंग के साथ पठन-पाठन
और लेखन में भी उनकी व्यापक रूचि रही है और अबतक कई लेख विभिन्न जगहों से प्रकाशित
हो चुके हैं. वो बताते हैं कि आज से 10 साल पूर्व जब वो फ्रांस में स्टडी टूर पर
गए थे,
तब वहां एक संगोष्ठी में कुछ फ्रेंच लोगों ने उनसे बिहार के
बारे में कुछ रोचक और अनूठा बताने को कहा..तब उन्होंने बिहार के महापर्व छठ के
बारे में विस्तार से उनलोगों को समझाया. फ्रेंच लोग काफी प्रभावित हुए और उन्होंने
कहा कि इस विषय पर फ्रांस के साथ फ्रेंच बोलने-समझने वाले अन्य 54 देशों तक भी इस
पर्व की महत्ता और पावन सन्देश पहुँचाना चाहिए.
उनकी प्रेरणा से कुमार आशीष ने
वापस स्वदेश लौटकर इस पर्व के बारे में और गहन अध्ययन एवं बारीकी से शोध कर छठ
पर्व को पूर्णत: परिभाषित करनेवाला एक लेख "Chhath Pouja:
l'adoration du Dieu Soleil" लिखा
जोकि भारत सरकार के अंग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् दिल्ली के द्वारा फ्रेंच
भाषा में "rencontre avec l'Inde" नामक किताब में सन 2013 में प्रकाशित हुई.
इस लेख में श्री आशीष ने छठ पर्व के सभी पहलुओं का बारीकी से विश्लेषण कर
फ्रांसीसी भाषा के लोगों के लिए इस महापर्व की जटिलताओं को समझने का एक नया आयाम
दिया है. शुरुआत में वे बताते है की छठ मूलत: सूर्य भगवान् की उपासना का पर्व है.
चार दिनों तक चलनेवाले इस पर्व में धार्मिक, सामाजिक, शारीरिक, मानसिक एवं
आचारिक-व्यावहरिक कठोर शुद्धता रखी जाती है. 'छठ' शब्द सिर्फ दिवाली के छठे दिन का ही द्योतक नहीं है बल्कि ये इंगित करता है कि भगवान् सूर्य की प्रखर किरणों की सकारात्मक ऊर्जा को हठ योग के छः अभ्यासों के
माध्यम से एक आम आदमी कैसे आत्मसात कर सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है?
इस पर्व के हर छोटे से छोटे विधान की योगिक और वैज्ञानिक
महत्ता है, मसलन,
साल में दो बार क्यों मनाया जाता है यह पर्व?
सूर्य की उपासना के वक़्त जल में खड़े रहने का आधार है?
डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे का विचार है?
सूप और दौरे का पूजा में क्या महत्व है? यह
पूजा ऋग्वेद काल से शुरू हुई, महाभारत में धौम्य ऋषि के कहने पर द्रौपदी ने पांचो पांडवों
के साथ छठ पर्व कर सूर्य की कृपा से अपना खोया राज्य वापस प्राप्त किया था. बिहार
में इसका प्रचलन सूर्यपुत्र अंगराज कर्ण से शुरू होना माना जाता है.

बिहार के तीनों बड़े प्रभागों यथा, मगध, भोजपुर और मिथिला में बड़े धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है. मिथिला के क्षेत्र
में 'कोसी भरना' भी किया जाता है जिसमे मानव-शरीर के पंचतत्व के प्रतीक रूप
में पांच गन्ने एक साथ लगाये जाते हैं और उन्हें ऊष्मा प्रदान करने के लिए चारो
तरफ से मिटटी के दिए लगाये जाते हैं. जिस घर में नयी शादी या नए बच्चे का आगमन
होता है,
वो लोग बड़ी निष्ठा से ये रीति निभाते हैं.
बिहार के सिकंदरा प्रखंड जमुई जिले के रहनेवाले आईपीएस श्री आशीष अपने फ्रेंच
भाषाई लेख के माध्यम से विदेशों तक छठ पर्व की महिमा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं
जोकि काबिलेतारीफ है. उल्लेखनीय है कि श्री आशीष को फ्रांस में हुई उसी मीटिंग में
बिहार में रहकर बिहार के लिए कुछ करने की भी प्रेरणा मिली थी जब एक फ्रेंच वृद्धा
मादाम निकोले ने उनसे बिहार के पिछड़ेपन का कारण पूछा था और तब तमाम तथ्यों में एक
ये भी तथ्य उभर कर सामने आया था कि बिहार के प्रतिभाशाली लोग भारत सहित और अन्य
विदेशी जगहों पर अपने-अपने क्षेत्रों में हमेशा आगे रहते हैं पर बिहार वापस लौटना
पसंद नहीं करते, इस
कारण बिहार से प्रतिभा का पलायन रुक नहीं रहा है और परिणामस्वरूप बिहार पिछड़ा
राज्य बना रहता है.
इस तथ्य को चुनौती के रूप में लेते हुए श्री आशीष फ्रांस से लौटकर वापस आये और
UPSC की
कठिन परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बन कर अपने गृह राज्य में सेवा
देने आये. मोतिहारी, दरभंगा,
बलिया-बेगुसराय,
मधेपुरा और नालंदा अबतक जहाँ भी उन्होंने कार्य किया है,
अपने बिहार की मिटटी के प्रति सच्ची आस्था और जरुरतमंदों को
त्वरित न्याय प्रदान करने का कार्य कर लोगों को दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है.
सामुदायिक- सांस्कृतिक कार्यों से वे लगातार
क्रूर पुलिसिंग का चेहरा बदल कर पब्लिक-फ्रेंडली पुलिसिंग कर रहे हैं,
जिससे ना सिर्फ अपराध नियंत्रण में काफी सहायता मिली है वरन पुलिस और सरकार में आम
लोगों का विश्वास भी बढ़ा है.

अब समय आ गया है कि पूरे विश्व में
जहाँ भी बिहारी डायस्पोरा के लोग हैं, इस अवसर पर अपने-अपने तरीके से आगे आयें और बिहार की
सांस्कृतिक समृद्धि, विरासत और बुद्धत्व से पूरे विश्व को जाग्रत करें.
(वि.सं.)
एक आईपीएस ने छठ पूजा की महिमा की अनुगूँज पहुँचाया 54 फ्रांसीसी भाषाई देशों में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 26, 2017
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