ध्वस्त होती सामाजिक मान्यताएं और कु-व्यवस्थाएं कई लोगों को कचोटती तो हैं पर
इन्हें शब्दों में पिरोकर बाहर निकालना हर किसी के वश में नहीं होता.
मधेपुरा के
भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर डॉ.
विश्वनाथ विवेका की कवितायेँ भी ध्वस्त हो रहे सिस्टम पर गहरी चोट करती हैं.
शायद यही वजह रही हैं कि डॉ. विश्वनाथ विवेका की कवितायें जहाँ आम लोगों समेत
कई बुद्धिजीवियों को प्रभावित करती है वहीँ कई लोगों की आँखों में ये खटकते भी
हैं. लोग इनकी धारदार कविताओं को सुनकर इन्हें ‘कोसी का कुमार विश्वास’ भी कहने
लगे हैं. वर्ष 1963 के 01मार्च को मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड के सूर्यगंज
में जन्म लिए विश्वनाथ विवेका का बचपन बेहद असामान्य परिस्थितियों में गुजरा.
माता-पिता का साया सर से तब ही उठ गया जब ये आठवीं कक्षा में थे. पढ़ाई अवरूद्ध हुई
और इन्हें किराना तथा कपडे की दूकान में स्टाफ की हैसियत से नौकरी भी करनी पड़ी. पर
जीवन में कुछ करने की ललक ने विपरीत परिस्थिति में भी पढ़ाई फिर से शुरू करने का
हौसला दिया. नेशनल स्कॉलरशिप ने आर्थिक स्थिति संभाला और हाई स्कूल की पढ़ाई सुपौल
के विलियम हाई स्कूल से वर्ष 1977 में मैट्रिक की परीक्षा में टॉपर बनने के साथ
पूरा हुआ. वर्ष 1985 जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ भूपेन्द्र नारायण मंडल
विश्वविद्यालय, मधेपुरा में जब पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद मधेपुरा के बी.एन. एम्. वी.
कॉलेज में बतौर लेक्चरर नियुक्त हुए. योग्यता और क्षमता सराही जाने लगी और उंचाई
पर जाने का सिलसिला चल पड़ा.
मधेपुरा के टीपी कॉलेज में आरटीआई ऑफिसर, बीएनएमयू में सांख्यिकी पदाधिकारी,
लीगल ऑफिसर, इन्स्पेक्टर ऑफ कॉलेजेज के बाद विश्वविद्यालय के कुल सचिव तथा
कुलानुशासक जैसे बड़े पद को सुशोभित करने का मौका मिला. वर्तमान में डॉ. विश्वनाथ
विवेका उदाकिशुनगंज के एच.एस.
कॉलेज में प्राचार्य के पद पर हैं.
कॉलेज में प्राचार्य के पद पर हैं.
बचपन को याद करते डॉ. विश्वनाथ विवेका मधेपुरा टाइम्स स्टूडियो में बताते हैं
कि भले ही बचपन कष्ट में बीत रहा था, पर कविता के प्रति लगाव उन्हें आठवीं कक्षा
से ही होने लगा और जब पटना समेत कई मंचों पर इन्होने अपनी लिखी कवितायें पेश की तो
श्रोताओं की तालियों ने और अधिक और बेहतर लिखने का मनोबल बढ़ाया.
स्वान्तः सुखाय साहित्य की तर्ज पर डॉ. विश्वनाथ विवेका ने सैंकड़ों कवितायेँ
तथा गीत लिखे, पर इन्हें पुस्तकों के रूप में छपवाने की कोई खासा चाहत न रही. वैसे
इनकी लिखी एक पुस्तक Wings of Poesy एक समय में छात्र-छात्राओं की बड़ी पसंद बनी
हुई थी.
सुनिए आप भी यूट्यूब पर डॉ. विश्वनाथ विवेका की कवितायें और गीत:
1. ‘वतन की बदनसीबी का’ सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
2. सियार की व्यथा और श्वान प्रतियोगिता (व्यंग-कविता) सुनने
के लिए यहाँ क्लिक करें
3. ‘सच कहने की आदत’ सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
व्यवस्था पर चोट है ‘कोसी के कुमार विश्वास’ डॉ. विश्वनाथ विवेका की कवितायें
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 15, 2017
Rating:
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October 15, 2017
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