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मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड अंतर्गत कुल 13 पंचायत
में से 4 पंचायत पूर्ण रुप से बाढ़ प्रभावित हैं और तीन पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित. जैसे ही बाढ़ आने
का समय होता है लोगों की धड़कन बढ़ जाती है.
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फुलौत पूर्वी, फुलौत पश्चिमी, मोरसंडा, चिरौरी इन सभी पंचायत के ग्रामीण कहते हैं कि जब हर बार बाढ़ का समय आता है बहुत ही मुश्किल आ जाती है. आवागमन, मवेशियों का चारा, बच्चों की शिक्षा, जरूरत के सामान तथा फसल बर्बाद हो जाते हैं और बाढ़ आने से हमेशा अंदेशा बना रहता है कि कोई अप्रिय घटना ना घट जाए. क्योंकि हर एक वर्ष बाढ़ के पानी आने के बाद करीब एक दर्जन लोग काल के मुंह में समा जाते हैं. हम लोगों की इच्छा है कि बाढ़ का एक स्थाई निदान हो जाए जिससे हर वर्ष आने वाले वार्ड से हम लोगों को निजात मिल सके. अभी फुलौत पूर्वी पश्चिमी मोरसंडा में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है और लोग चिंतित होने लगे हैं। फुलौत पूर्वी के मुखिया कहते हैं कि बाढ़ आने से बच्चों की पढ़ाई मवेशी का चारा जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। लोग अपने साधन के लिए नाव भी बनाने लगे हैं। वहीँ मोरसंडा पंचायत के मुखिया विद्यानंद पासवान ने कहा कि बाढ़ तो हम लोगों का पर्व है, हर वर्ष सुख-दुःख झेलना पड़ता है। फुलौत पश्चिमी के मुखिया पंकज मेहता कहते हैं कि बाढ़ के आने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है उनके फसल बर्बाद हो जाते हैं।
जिला परिषद सदस्य अनिकेत मेहता कहते हैं कि बाढ़ के आने से आसपास के दर्जनों गांव का मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है लोग परेशान रहते हैं। खाने के लिए तरसते हैं और सरकार की तरफ से इतनी कम मात्रा में खाद्य सामग्री दिया जाता है कि एक समय का भी भूख नहीं मिट सके। ऊपर से जो राशि दी जाती है वह अंचल अधिकारी के पास ही सिमट जाता है। लोग हर हाल में परेशान है।
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चौसा के लोगों के लिए बाढ़ दुःख का एक पर्व, हर साल करना है मुश्किलों से सामना
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 09, 2017
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