मधेपुरा के इस शिक्षक के बीते कल 31 मार्च को अवकाशप्राप्त
करने पर सैंकड़ों लोगों की ऑंखें नम हो गई. माहौल गमगीन होना लाजिमी था क्योंकि
मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड के पारसमणि उच्च विद्यालय, बभनी के हेडमास्टर
सत्य नारायण झा न सिर्फ एक उम्दा शिक्षक थे, बल्कि एक ऐसे समाजसेवी भी हैं, जिनके
जीवन से इलाके के लोग प्रेरित होते हैं.
पारसमणि
उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक के रूप में सत्य नारायण झा ने वर्ष 2009 में
प्रभार ग्रहण किया था. तब से अब तक श्री झा को कई बार सम्मानित किया जा चुका है.
वर्ष 2011 में इन्हें स्कूल की बेहतर व्यवस्था आदि के लिए मधेपुरा के तत्कालीन
जिला पदाधिकारी ने सम्मानित किया था और वर्ष 2012 में ‘हिन्दुस्तान’ समाचारपत्र द्वारा इन्हें पूरे
बिहार के लिए अव्वल शिक्षक के रूप में चुना गया. वर्ष 2013 में शिक्षक दिवस पर
पुन: जिला प्रशासन द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया तो उसी वर्ष गन्हारिया एवं
सिंहेश्वर प्रखंड के दलित एवं महादलित प्रकोष्ठ के द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया
गया. वर्ष 2014 में श्री झा को बिहार सरकार से राजकीय सम्मान मिला तो इस वर्ष इनका
नाम राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया.
शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल
करने वाले शिक्षक सत्य नारायण झा का नाम एक समाजसेवी के रूप में गम्हरिया प्रखंड
में लोकप्रिय है. बताते हैं कि पत्नी के स्वर्गवास हो जाने के बाद श्री झा ने उनके
नाम से बभनी गाँव में ही ‘रेणु बाल सुधार केन्द्र’ की स्थापना की और इसने गरीब और दलित बच्चों को मुफ्त सेवा
देनी शुरू की. यही नहीं इलाके के लोगों के लिए इन्होने अपनी ओर से चार पहिया वाहन
को एम्बुलेंस के रूप में दे दिया है.
और कल
सेवानिवृत्ति के बाद विदाई के समय लोगों की आंखे तब और नम हो गई जब एक ‘टूटी काठ की कुर्सी’ से रिटायर होने वाले श्री झा ने
प्रभार लेने वाले सहायक शिक्षक फुरकान अली को एक ‘मूविंग चेयर’ प्रदान करते हुए कहा कि ‘फुरकान साहब, अब आप इस नए कुर्सी पर बैठेंगे, और मैं
जब कभी किसी काम से विद्यालय आऊं तो प्लीज मुझे यही टूटी कुर्सी दीजियेगा, ताकि इस
स्कूल से अपने जुड़ाव को पहले की तरह महसूस कर सकूं.’
‘टूटी काठ की कुर्सी’ से हुए हेडमास्टर रिटायर, पर प्रभार लेने वाले को दिया ‘मूविंग चेयर’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 01, 2015
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