नेपाल की राजधानी काठमांडू से 100 किमी उत्तर-पूरब होटो नामक
स्थान पर भूस्खलन की वजह से पहाड़ टूटने के बाद कोसी तटबंध के बीच बसी आबादी को हाई
अलर्ट कर दिया गया है. जिला प्रशासन की ओर से माइकिंग के सहारे लोगों को तटबंध के भीतर
के गांव खाली करने का आदेश दे दिया गया है. लोगों से कहा जा रहा है कि वे पूर्वी अथवा
पश्चिमी तटबंध पर ऊंची जगहों पर शरण ले लें, जहां प्रशासन द्वारा उनके लिए अन्य व्यवस्था
की जा सकेगी.
डीएम एलपी चौहान के मुताबिक,
नेपाल प्रभाग में भूस्खलन
की वजह से पहाड़ टूटकर गिर गया है, जिससे पानी अवरूद्ध है. एकाएक पानी के निकलने से
चार से पांच लाख क्यूसेक में डिस्चार्ज की संभावना जताई जा रही है जो तटबंध के बीच
बसी आबादी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. दिन में पानी का निकलना उतना खतरनाक नहीं
होगा लेकिन रात में यदि पानी का बहाव तेज गति में होगा तो समस्या अधिक होगी. बताया
कि एहतियात के तौर पर छह एनडीआरएफ की टीम को सरायगढ़, किशनपुर व सुपौल भेज दिया गया है.
बहरहाल, पूरा
प्रशासनिक महकमा तटबंधों पर ही कैंप किये हुए है. तटबंध के बीच बसे लोगों में अफरा-तफरी
मची हुई है. लोगबाग ऊँचे स्थान पर शरण ले रहे हैं.
नेपाल सरकार के सूत्रों से मिली
जानकारी के मुताबिक़ देर रात या कल ब्लास्ट के द्वारा टूटकर नदी में गिरे पहाड़ को
नष्ट किया जाएगा, जिसके बाद पानी का तेज बहाव 10 मीटर की ऊँचाई से बह सकता है और
तटबंध पर दवाब बढ़ने से परेशानी हो सकती है.
यह भी जानें:
कोसी हिमालय की ऊंचाई से नेपाल के चतरा नामक स्थान पर
मैदान में उतरती है। वहीं से 42 किलोमीटर दक्षिण बहकर नेपाल की सीमा पार कर बिहार के सुपौल
जिले में प्रवेश करती है. कोसी उत्तर बिहार में सबसे बड़ी सहायक नदी मानी जाती है.
जिसका कुल जलग्रहण क्षेत्र 70409 वर्ग किमी है। तिब्बत और नेपाल में 50399 वर्ग किमी क्षेत्र के हिमखंड
और वर्षा के पानी को यह समेटती है. उत्तर बिहार में इस नदी का कुल जलग्रहण क्षेत्र
11 वर्ग किलोमीटर
है.
नेपाल प्रभाग में पहाड़ टूटने के बाद हाई अलर्ट: जाने क्या हुआ? तस्वीरें (एक्सक्लूसिव)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 02, 2014
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