दो मनचलों ने एक दर्जन छात्राओं में से एक को जबरन खेत में खींच लिया, पर लड़कियों के हौसलों ने मनचले को पहुँचाया सलाखों के पीछे
मधेपुरा में लड़कियों के हौसले अब बुलंद हैं. मनचलों
को लड़कियों के द्वारा सबक सिखाने की जिले में कई घटनाएं देखी जा चुकी है. जाहिर सी
बात है लड़कियां यदि ठान ले तो घिनौने चरित्र के लड़कों की खैर नहीं.
जिले के
कुमारखंड थाना के टिकुलिया गाँव में आज जो कुछ हुआ, वह एक अलग ही सन्देश दे जाता
है. घटना भतनी पुल से करीब एक किलोमीटर आगे की है. महावीर रानीपट्टी उच्च विद्यालय
टिकुलिया की एक दर्जन छात्राएं सायकिल से स्कूल से पढ़कर वापस घर लौट रही थी.
लड़कियां जैसे ही पटुआ के खेत के पास पहुंची कि अचानक घात लगाकर बैठे कोरलाही गाँव
के दो लड़कों प्रमोद ऋषिदेव और आनंद कुमार शर्मा ने उनमें से एक लड़की उषा को उसका
दुपट्टा खींचकर सायकिल से गिरा दिया. फिर दोनों मिलकर आनन-फानन में उषा को खींचकर
खेत में ले गए और उसकी इज्जत लूटने का प्रयास करने लगे. पर इन दोनों नीच लड़कों को
अपने पर आई शामत का बिलकुल ही अंदाजा नहीं था. उन्हें लगा था कि उनके डर से बाकी
लड़कियां भाग जायेगी, पर हुआ उल्टा. सभी लड़कियों ने हिम्मत जुटाते हुए उषा को इन
दरिंदों से छुड़ाने लगे और शोर भी मचाने लगे. फिर क्या था, अगल-बगल के खेतों में
काम करने वाले लोग दौड़े. प्रमोद तो मौके से भाग गया पर कुकर्म की नीयत में सहयोगी
बना आनंद मौके पर से भाग नहीं सका. लड़कियों ने न सिर्फ जी भर के आनंद पर अपना
गुस्सा उतारा बल्कि सभी लड़कियों ने उसे भतनी ओपी लाकर हवालात में पहुंचा दिया.
लड़कियों
ने ओपीध्यक्ष से मामले में एफआईआर दर्ज करवाया. लड़कियां खुश थीं कि यदि वे एक हो
जाएँ तो फिर उनपर बुरी नजर डालने वालों को वो हवालात की हवा और पब्लिक की लात खिलाने
में अब सक्षम हैं.
यौन अपराध में सामाजिक पहल खतरनाक: यौन सम्बन्धी अपराधों में सीधे मुकदमा दर्ज होना चाहिए न कि सामाजिक पहल से मामले को दबाने की कोशिश हो. इस कांड में फरार प्रमोद ने हाल में ही गाँव की एक लड़की के साथ जबरदस्ती का प्रयास किया था जिसमें गाँव के 'कुबुद्धिजीवियों' ने दोनों पक्षों को समझाबुझा कर मामले को दबा दिया. यदि पिछली घटना में प्रमोद पर मुकदमा कर उसे जेल भेज दिया गया होता तो आज प्रमोद के द्वारा फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होती.
यौन अपराध में सामाजिक पहल खतरनाक: यौन सम्बन्धी अपराधों में सीधे मुकदमा दर्ज होना चाहिए न कि सामाजिक पहल से मामले को दबाने की कोशिश हो. इस कांड में फरार प्रमोद ने हाल में ही गाँव की एक लड़की के साथ जबरदस्ती का प्रयास किया था जिसमें गाँव के 'कुबुद्धिजीवियों' ने दोनों पक्षों को समझाबुझा कर मामले को दबा दिया. यदि पिछली घटना में प्रमोद पर मुकदमा कर उसे जेल भेज दिया गया होता तो आज प्रमोद के द्वारा फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होती.
दो मनचलों ने एक दर्जन छात्राओं में से एक को जबरन खेत में खींच लिया, पर लड़कियों के हौसलों ने मनचले को पहुँचाया सलाखों के पीछे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 14, 2014
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