|वि० सं०|07 जून 2014|
अप्रदः करने वाला यदि मजे से बाहर घूम रहा हो, और
उसके बदले में पुलिस ने किसी निर्दोष व्यक्ति को डरा-धमका कर जेल में ठूंस दिया
हो, तो इसे आप क्या कहेंगे. यदि ऐसे मामले सत्य पाए जाने लगे तो फिर घर में बैठे
शरीफ लोग भी तैयार हो जाएँ क्योंकि उनकी भी बारी आ सकती है.
मधेपुरा
जिले के गम्हरिया थाना से जुड़े एक मामले में जेल की हवा खा रहे शख्स ने थानाध्यक्ष
पर आरोप लगाया है कि उसे दूसरे व्यक्ति के नाम पर गिरफ्तार किया गया है. न्यायालय
ने मामले को गंभीरता से लेते हुए थानाध्यक्ष को स्थिति साफ़ करने कहा है.
मामला
एक छोटी सी चोरी से जुड़ा है. स्पीकर चोरी के आरोप में तरावे, गम्हरिया के विनोद
शर्मा के खिलाफ पुलिस ने न्यायालय से पहले वारंट की मांग की और फिर कुर्की भी ली.
बाद में अभियुक्त को गिरफ्तार न कर पाने पर पुलिस ने विनोद शर्मा को फरार दिखाते
हुए आरोप पत्र भी समर्पित कर दिया. पर उसके बाद अचानक पुलिस ने स्थायी वारंट के
आधार पर गत 2 अप्रैल को एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और पुलिस के
मुताबिक़ वही विनोद शर्मा है.
पर इसी
13 मई को जेल में बंद कथित विनोद शर्मा ने न्यायालय में प्रस्तुत करने के दौरान यह
दावा किया कि वह विनोद शर्मा नहीं बल्कि उसी गाँव का प्रेम दास है. प्रेम दास होने
के समर्थन में जेल में बंद उस व्यक्ति ने अपना वोटर आईडी, निवास प्रमाण पत्र,
निर्वाचन नामावली, प्रयाग ग्रुप में इसी नाम से खाता भी न्यायालय के समक्ष
प्रस्तुत किया. उसने न्यायालय को बताया कि गम्हरिया पुलिस ने उसे डरा-धमका कर जेल
में बंद कर दिया था और उसे मुंह नहीं खोलने को कहा था.
मधेपुरा
न्यायालय के विद्वान न्यायिक दंडाधिकारी श्री मनोज कुमार ने इस बावत गम्हरिया थाना
से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. अब देखना है कि जेल में बंद शख्स झूठ बोल रहा है
या फिर पुलिस ने एक निर्दोष को जेल में ठूंस दिया.
जेल में बंद व्यक्ति ने कहा, ‘मुझे दूसरे के नाम पर डराकर जेल में ठूंसा गया है’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 07, 2014
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