संवाददाता/11 सितम्बर 2012
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डा० नायडू: मुश्किल किया आसान |
ये घटना मेडिकल साइंस में मधेपुरा की हो रही प्रगति
को दर्शाता है.जिले के जिरवा गाँव की करीब 45 वर्षीया छोटकी देवी की जान जाने ही
वाली थी.कई महीने से एक अनजान बीमारी से पीड़ित छोटकी को उसके परिजनों ने पहले तो
पूर्णियां के एक बड़े शल्य चिकित्सक के यहाँ दिखाया.मामला लगातार हो रहे रक्तस्राव
से सम्बंधित था.पर इलाज में प्रगति न देखकर परिजन फिर छोटकी को सहरसा के एक
नामीगिरामी डॉक्टर के पास इलाज के लिए ले गए और फिर हालत बिगड़ता देख पटना के
पीएमसीएच में भर्ती करा दिया.पर छोटकी देवी की हालत बिगड़ती ही चली गयी और अंत में
लगा कि अब सब कुछ खत्म होने वाला है.रक्तस्राव इतना तेज हो चुका कि छोटकी के शरीर
से खून बहुत ही ज्यादा घट चुका था और अब घरवाले हिम्मत हार चुके थे.
परन्तु
शायद ईश्वर ने छोटकी की जिंदगी में कुछ और वर्ष जोड़े थे.परिजन रविन्द्र बताते हैं
कि पटना से रोगी को लाते वक्त मधेपुरा के बाय पास रोड में किसी ने बताया कि एक बार
रोगी को डा० नायडू कुमारी के पास ले जाइए, शायद वो इसकी जान बचा सके.और हुआ भी
वही.डा० नायडू कुमारी के इलाज ने रंग दिखाया और रोगी जल्द की बेहतर हो गयी.पर रोगी
को कैंसर हो जाने की आशंका को देखते हुए इस महिला चिकित्सक ने छोटकी का ऑपरेशन कर
रही-सही आशंका को भी दूर कर दिया और आखिरकार रोगी की जान पूरे बिहार भ्रमण के बाद
मधेपुरा आकर ही बच सकी.
डा०
नायडू ने बताया कि ये बीमारी यूटरस का डिजेनेरेटिंग फाइब्राइड था जो कैंसरस हो
सकता था और अधिक ब्लीडिंग की वजह से रोगी की जान कभी भी जा सकती थी.उन्होंने इस
केस को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और अब रोगी खतरे से बाहर है.
सुनें इस वीडियो में परिजन और डॉक्टर को, यहाँ क्लिक करें.
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पटना से निराश लौटी रोगी की जान मधेपुरा की डॉक्टर ने बचाई
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 11, 2012
Rating:

Aap madhepura hi nahi apne gaon ka v name roshan kiya
ReplyDeleteसंपादक महोदय से पूछना चाहता हूँ की जब आप चम्तकारी डाक्टर का नाम लिख सकते हैं तो फिर पूर्णिया और सहरसा के नाकाम डाक्टरों का नाम क्यूँ नहीं लिखें ? संपादक महोदय जी आपसे अनुरोध है की अपने ऑनलाइन न्यूज़ पेपर और पाठकों के अशीम विश्वाश की गरिमा को बनायें रखें |
ReplyDeletemadhepura ki janta ke liye ek sukhad or labhdayak news hai .dr naydu ko bhadai ho
ReplyDeletemarij ki janbach gai iske liye dr ko dhnywad
ReplyDeleteGood hai
ReplyDeleteमोनी जी जरा सोचिये !मरीज की जान बच गई और आप उस डॉक्टर के पीछे पड़ गए जिसने रेफर कर दिया !हम सकारात्मक कब सोचेंगे !
ReplyDeleteसब इंस्पेक्टर मुकेश जो अभी उदा किशनगंज मे पदस्थापित है ने एक बार मुझसे कहा था उसके एक रिश्तेदार को मिशन हॉस्पिटल ने रेफर कर दिया था तो डॉ नायडू ने जान बचाई थी !लगता है मधेपुरा के लिए डॉ नायडू वरदान है !दक्षिण भारत से आकर मधेपुरा जैसे छोटे शहर को सेवा देने के लिए धन्यवाद !दीपक कुमार
ReplyDeleteसुना है डॉ नायडू अपनी बात से रोगी को मानसिक रूप से पहले खुश करती है तब इलाज शुरू करती है ,कम दवा मे अच्छा इलाज करती है !मनोज यादव
ReplyDeleteThis is one of great news coming from my native district. We congrats Dr. Naydu and expect she will contribute more in the Madhepura health sector. Madhepura Rocks........... Also we congrats Madhepura times for picking such positive news which is rare from such remote place.
ReplyDeleteCongratulation not only to Chotki Devi and the very miraculous Dr. Nayudu, but also to all the citizens of Koshi zone, especially Madhepura.
ReplyDeleteNow, inspite of running around other cities for better treatment, serious diseases are curable even in your locality, Madhepura.
WellDone, Nayudu ji. . .
yeh bhi bahoot khoob... ha ha ha ha.... stunt for advertisement...
ReplyDeletemadhepura will devloped couse of those people
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