दीपक सिंह/०५ मार्च २०११
नौकरीपेशा लोगों के एक हिस्से को आयकर रिटर्न दाखिल करने से मुक्ति की वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की बजट भाषण के बाद अभी तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। लेकिन सीबीडीटी के चेयरमैन सुधीर चंद्रा के मुताबिक इस साल 5 लाख रुपए से कम वेतनवाले लोगों को टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी।
सुधीर चंद्रा का कहना है, “वेतनभोगी लोगों, हो सकता है 5 लाख रुपए तक के वेतनवाले, को आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है। यह छूट आकलन वर्ष 2011-12 से मिलने लगेगी।” इसका मतलब यह हुआ है कि चालू वित्त वर्ष 2010-11 में जिनका सालाना वेतन 5 लाख रुपए से कम है, उन्हें टैक्स रिटर्न भरने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। वित्त वर्ष 2010-11 का मतलब आकलन वर्ष 2011-12 होता है।

इस तरह किन वेतनभोगी करदाताओं को टैक्स-रिटर्न भरने से निजात मिली है, इसे बताने का सारा दारोमदार सरकार की अधिसूचना पर है। लेकिन सीबीडीटी चेयरमैन सुधीर चंद्रा ने इस बाबत बयान देकर पहले से इशारा कर दिया है। उनका कहना था कि इस मामले में नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को जारी किया गया फॉर्म-16 ही आयकर रिटर्न मान लिया जाएगा। वैसे, वित्त विधेयक के मेमोरेंडम से साफ है कि अगर वेतन के अलावा किसी को अन्य स्रोतों से भी आय होती है तो रिटर्न दाखिल करना होगा। यहां यह भी साफ कर दें कि अगर आपका कोई रिफंड बनता है कि टैक्स रिटर्न फाइल करके ही आप उसे पा सकते हैं
सीबीडीटी चेयरमैन से जब यह पूछा गया कि क्या ऐसे सभी वेतनभोगी करदाताओं को टैक्स रिटर्न फाइल करने से मुक्ति मिल सकती है जिनकी कोई आय अन्य स्रोतों से नहीं है तो उनका कहना था कि आयकर विभाग निश्चित रूप से इस प्रस्ताव पर विचार करेगा। उन्होंने यह बात स्वीकार की कि अधिकांश वेतनभोगी करदाताओं की एकमात्र अन्य आय बचत खाते से मिली ब्याज ही है जो बहुत मामूली होती है।
बता दें कि देश के करीब 3.5 करोड़ आयकर दाताओं में करीब-करीब आधे करदाता वेतनभोगी कर्मचारी हैं। सीबीडीटी ने कुछ साल पहले वेतनभोगी कर्मचारियों को टैक्स रिटर्न की अनिवार्यता से मुक्त करने की पेशकश की थी। उसका तर्क था कि ऐसे लोगों का सारी आय का रिकॉर्ट नियोक्ताओं के अलावा बैंकों के पास भी उपलब्ध रहता है। लेकिन तब यह प्रस्ताव किसी वजह से अटक गया था।
5 लाख तक के वेतन पर टैक्स-रिटर्न नहीं!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 05, 2011
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