रूद्र नारायण यादव/२५ फरवरी २०११
फिल्म पीप्पली लाइव के एक दृश्य में नत्था खुले मैदान में शौच करने गया था और वहीं से गायब हुआ था.दरअसल हमारे देश में ऐसे पुरुष और महिलाओं की संख्यां करोड़ों में हो सकती है जिन्हें कुछ तो गरीबी और कुछ सरकार की लूट-खसोट की योजना ने नत्था बना रखा है यानी उन्हें भी खुले में शौच जाना पड़ता है.सरकार ने दावे तो बहुत कर रखे हैं कि खास कर महिलायें खुले में शौच न जाएँ.पर उनकी योजनाएं लूट-खसोट की साबित होकर टांय-टांय-फिस्स हो जा रहीं हैं.अब स्वच्छता अभियान के तहत
सम्पूर्ण जिले में बनने वाली शौचालय की योजना को ही लीजिए.लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने बाकायदा विज्ञापन निकाल कर इस काम को विभिन्न एनजीओ को दिया था.पर ग्रामीण क्षेत्र की इस योजना में इतनी लूट हुई कि मधेपुरा में इसकी हवा ही निकल गयी.इसका निर्माण इतना घटिया हुआ कि कहीं तो ये बनते-बनते टूट गया,कहीं तो अधूरा ही रह गया और कहीं तो ये बना ही नहीं.और सबों ने मिलकर करोड़ों की राशि को गटक डाला.कहा तो ये भी जा रहा है कि बहुत से जगहों पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सम्बन्धियों के ही एनजीओ को टेंडर दे दिया गया.हालांकि इस योजना के फिस्स होने का एक दूसरा पहलू भी है.ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक घर में बनने वाले इस शौचालय योजना के तहत एक शौचालय की लागत भी इतनी कम है कि उसमे शौचालय बनना मुश्किल है भी.यानि कहा जा सकता है कि सरकार ने इस योजना को लूट-खसोट के उद्येश्य से बनाया ही था.इस बाबत जब मधेपुरा के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता बाल्मिकी प्रसाद का बयान लेने हेतु मधेपुरा टाइम्स के संवाददाता ने जैसे ही कैमरा ऑन किया कार्यपालक अभियंता बगलें झाँकने लगे.
जो भी हो,इस योजना की फाइलें भी अब दबाई जा चुकी है और मधेपुरा के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकाँश पुरुष और महिलायें अब भी खुले में शौच जाने को विवश हैं.सम्पूर्ण जिले में बनने वाली शौचालय की योजना को ही लीजिए.लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने बाकायदा विज्ञापन निकाल कर इस काम को विभिन्न एनजीओ को दिया था.पर ग्रामीण क्षेत्र की इस योजना में इतनी लूट हुई कि मधेपुरा में इसकी हवा ही निकल गयी.इसका निर्माण इतना घटिया हुआ कि कहीं तो ये बनते-बनते टूट गया,कहीं तो अधूरा ही रह गया और कहीं तो ये बना ही नहीं.और सबों ने मिलकर करोड़ों की राशि को गटक डाला.कहा तो ये भी जा रहा है कि बहुत से जगहों पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सम्बन्धियों के ही एनजीओ को टेंडर दे दिया गया.हालांकि इस योजना के फिस्स होने का एक दूसरा पहलू भी है.ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक घर में बनने वाले इस शौचालय योजना के तहत एक शौचालय की लागत भी इतनी कम है कि उसमे शौचालय बनना मुश्किल है भी.यानि कहा जा सकता है कि सरकार ने इस योजना को लूट-खसोट के उद्येश्य से बनाया ही था.इस बाबत जब मधेपुरा के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता बाल्मिकी प्रसाद का बयान लेने हेतु मधेपुरा टाइम्स के संवाददाता ने जैसे ही कैमरा ऑन किया कार्यपालक अभियंता बगलें झाँकने लगे.
स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय योजना मधेपुरा में टांय-टांय-फिस्स
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 25, 2011
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