रिंकू सिंह/15/11/2012
पिछले ग्यारह सालों से सरकार की मुफ्त सेवा करने
वाले इस महादलित को देखने वाला कोई नहीं है. दूसरी तरफ जिले में कई अधिकारियों और
कर्मचारियों ने सरकारी फंड को सफाचट करने में कोई कसर नहीं बाक़ी रखा है.
हम
बात कर रहे हैं मधेपुरा शहर के एकमात्र चिल्ड्रेन पार्क की जो प्रशासनिक उपेक्षा
का शिकार बना हुआ है जबकि इस पार्क में रोज ही सुबह शाम सैंकड़ों लोग अपना कुछ चैन
का समय व्यतीत करने आते हैं. पार्क की बत्तियाँ आदि कब की खराब हो चुकी है और यदि
ये पूरी तरह बर्बाद होने से कुछ बचा हुआ है तो इसके पीछे का शख्स है इसका माली
जोगी राम. पर अब जोगी राम के सब्र का बांध भी टूट चुका है. जोगी राम की नियुक्ति
इस पार्क में माली के रूप में वर्ष 2003 में बाल दिवस के ही रोज हुई थी. पर उस समय
से दस बार चाचा नेहरू का जन्म दिवस मनाया जा चुका है पर योगी को दैनिक मजदूरी के
रूप में प्रशासन ने दस रूपये भी नहीं दिए हैं.
दिन
रात चिल्ड्रेन पार्क की सेवा कर रहे जोगी राम ने कई बार मजदूरी के भुगतान के लिए
जिलाधिकारी तथा कमिश्नर तक को लिखा, पर किसी के कान पर जूं भी नहीं रेंगी. पार्क
की सुरक्षा, इसके गेट को खोलना-बंद करना, इसमें फूल-पौधे लगाना,
खुरपी-कुदाल-बाल्टी आदि की खरीद करना, पार्क की सफाई करना आदि काम तो इस महादलित
के हिस्से दे दिया गया है पर इसके लिए माली को प्रशासन द्वारा किसी प्रकार का
भुगतान नहीं किया जाता है. हालत ये है कि जोगी राम कुछ लोगों से ही पैसे मांगकर
पार्क की देखभाल करता है जबकि जिले के कई अधिकारी सरकारी योजनाओं की लूट में बड़ी
भूमिका निभा रहे है. जोगी राम कहता है कि अब उनके परिवार और बाल-बच्चों के सामने
भुखमरी की नौबत आ चुकी है. सामने सरकारी गेस्ट हाउस है जिसमें
जोगी राम: प्रशासन ने मारी पेट पर लात |
लाल-पीली बत्तियों
वाले मंत्री-अधिकारी आते रहते है तो एक बार पिछले साल सात फरवरी को उद्योग एवं
आपदा प्रबंधन मंत्री रेणु कुमारी कुशवाहा को भी इस आशय का आवेदन दिया था कि कब तक
भूखा मजदूरी करता रहूँगा. पर मंत्री साहिबा ने जिलाधिकारी से जांच करके त्वरित
कार्यवाही करने को कहा और जिलाधिकारी की त्वरित कार्यवाही का इन्तजार जोगी राम आज
भी कर रहा है.
सबसे
बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इतना लाचार है कि एक गरीब महादलित परिवार के लिए
ग्यारह वर्षों से रोटी की जुगाड़ नहीं कर सकता जबकि परिवार का मुखिया प्रशासन के
आदेश पर अपने परिवार को छोड़कर इस पार्क में इस उम्मीद में पड़ा है कि शायद प्रशासन
की नींद खुले और उसकी बगिया में भी फूल खिल सके ?
अधिकारी के बच्चे खा रहे पिज्जा: रोटी के लिए तरस रहे बागबान के बच्चे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 15, 2012
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