साहित्य में निहित होती है न्याय की चेतना: बीएनएमवी कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन



मधेपुरा, बीएनएमवी कॉलेज में समकालीन विमर्श और साहित्य विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतिम दिन बुधवार को साहित्यिक विचार मंथन के साथ समापन हो गया. 

संगोष्ठी के तकनीकी सत्र और समापन सत्र में विषय विशेषज्ञों ने दलित विमर्श, स्त्री विमर्श आदि उपविषयों पर विद्वानों ने प्रकाश डाला. शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने बतौर मुख्य अतिथि समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य समाज की आत्मा होती है. दुनिया में बड़ी से बड़ी क्रांति में साहित्य की अहम भूमिका होती है. साहित्य संवेदनाओं और विचारों से भरपूर होता है. तानाशाही व्यवस्था में साहित्य को समाप्त करने की कोशिश की जाती है. वर्ण व्यवस्था समाज के लिए कोढ़ है. सामाजिक विषमताओं को दूर करने और वंचितों को उनका हक दिलाने के लिए विमर्श करने और निरंतर साहित्य लिखने की आवश्यकता है. इस उद्देश्य को प्राप्त करने में यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी अहम भूमिका होगी. 

एमएलसी अजय कुमार सिंह ने दलित व स्त्री विमर्श पर प्रकाश डालते हुए वंचित और शोषित समाज को हक दिलाने के लिए साहित्यकारों से साहित्य लिखने की अपील की. उन्होंने कहा कि ताकत को जिंदा रखने की जरूरत है. टीएमबीएमयू के पूर्व प्रतिकुलपति डा. के.के. मंडल ने साहित्य और समाज को एक दूसरे का पूरक बताया. उन्होंने कहा कि राजनीति के लड़खड़ाने पर साहित्य उसे संभालती है. 

भदोई उत्तर प्रदेश से आई शोधार्थी डॉ. सुचिता वर्मा ने दो दिनों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला. स्त्री विमर्श पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने स्त्री को केंद्र में रख कर लिखी जा रहे साहित्य पर उन्होंने प्रकाश डाला.

इससे पूर्व तकनीकी सत्र में डॉ. कमलेश वर्मा ने कहा कि साहित्य में न्याय की चेतना होती है. सामाजिक विषमताओं को दूर करने के लिए सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. समकालीन विमर्श और साहित्य बदलाव का वाहक बनेंगे. मिजोरम से पहुंचे डॉ. अमीश वर्मा ने साहित्य का समझ शास्त्र और जाति का सवाल विषय पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि जाति के सवाल को केंद्र में रख कर विश्लेषण करने की जरूरत है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया से आए डॉ. अरविंद कुमार ने साहित्य एवं सामाजिक विज्ञान में सूद्र के सवाल पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. प्रो. सिद्धेश्वर कश्यप ने तमाम विमर्शों की ओर इशारा करते हुए मानवता को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार बताया.

सिद्धांत और साहित्य में एकरूपता होना जरूरी: सेमिनार में डॉ. वीर भारत तलवार ने बताया कि विमर्श समाज में आई जागृति का सूचक है. उन्होंने कहा कि हिन्दी के विमर्श में अंतर्विरोध दिखाई देता है. सिद्धांत और साहित्य में एक रूपता होनी चाहिए. डॉ. अनुज लुगुन आदिवासी साहित्य पर प्रकाश डालते हुए जीवन की विषमताओं को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि उन्नत साहित्य प्रक्रिया विमर्श से शुरू होती है. समकालीन विमर्श सांस्कृतिक लोकतांत्रिक मूल्यों को पोषित करता है. आदिवासी साहित्यिक विमर्श समकालीन विमर्श के प्रति जागरूक है.

प्रो. सिद्धेश्वर कश्यप ने तमाम विमर्शों की ओर इशारा करते हुए मानवता को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार बताया.

समाज को नयी दिशा प्रदान करेगा सेमिनार 

सेमिनार आयोजन समिति के अध्यक्ष सह प्रधानाचार्य डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि समाज और साहित्य विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में विद्वानों के विचार समाज को नयी दिशा प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि देश विदेश से आए विद्वानों ने इस सेमिनार में अपनी राय देकर शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. सेमिनार के संयोजक डॉ शेफालीका शेखर ने आयोजन समिति की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया. 

 दिव्यांग शोधार्थी रुपम को शिक्षा मंत्री ने 25 हज़ार रुपये की सहायता की

सेमिनार में आयी हिन्दी विभाग की दिव्यांग शोधार्थी रूपम कुमारी की कठिन परिश्रम के बल पर मुकाम हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए 25 हज़ार रुपये का आर्थिक सहयोग प्रदान किया. ज्ञातव्य हो कि रुपम का दोनों हाथ कटा हुआ है, वे अपने पैर से सभी काम करती है.

साहित्य में निहित होती है न्याय की चेतना: बीएनएमवी कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन साहित्य में निहित होती है न्याय की चेतना: बीएनएमवी कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 29, 2023 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.