विजय प्रभात का मानना है कि यदि सरकार सकारात्मक तरीके से औद्योगिकरण के लिए सोचे, स्वास्थ्य के लिए सोचे और शिक्षा के लिए सोचे तो बिहार से पलायन लगभग रुक जाएगी। क्योंकि मुख्य रूप से रोजगार के लिए लोग बाहर का दरवाजा खटखटाते हैं। इस जनहित याचिका में स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए भी बात रखा गया है क्योंकि यहां पर विश्वविद्यालय और महाविद्यालय भी सही तरीके से काम नहीं कर रही है जिसमें सरकार की लापरवाही ही दिखती है, अस्पताल की सुविधा भी किसी से छुपी नहीं है. बिहार में एक सकरात्मक माहौल छोटे हो या बड़े व्यवसाय के लिए अभी तक नहीं बन पाया है।रोजगार के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करना और कुछ सरकारी नौकरी की बात करने से सिर्फ बिहार का कल्याण नहीं हो सकता है। उन्हें अब माननीय न्यायालय से उम्मीद है कि बिहार सरकार को कुछ सकरात्मक दिशा निर्देश देकर बिहार का भला करें।

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