देवाधिदेव महादेव की नगरी सिंहेश्वर धाम के मंदिर परिसर स्थित भक्तों के आस्था का प्रतीक पंचवृक्ष का विशालकाय पेड़ शनै-शनै गति से गिरता चला गया. जैसे वह वहां पर मौजूद लोगों को अगाह कर रहा हो कि मैं जा रहा हूं, मेरे नीचे से सभी हट जाय.
ये बाबा की ही कृपा थी जो 07 दुकानदार पेड़ को गिरते देख जान बचा कर निकल गए. हालांकि उन दुकानदारों का काउंटर और पूजा के सामान की आंशिक क्षति हुई. लोगों के आस्था का प्रतीक बरगद, पीपल और पाखैड़ का यह पंचवृक्ष का पेड़ शुक्रवार की सुबह 06 बजे बिना किसी हलचल, हवा के दबाव और बिना तूफान के ही गिर गया.
जबकि मालूम हो कि विगत 60 सालों में कितने ही प्रलयंकारी तूफान और भूकंप को झेल चुके वृक्ष गुरुवार की रात लगभग 9:00 बजे फटने लगा था. इसपे किसी भी मंदिर न्यास या तैनात पदाधिकारी की नजर नहीं गई. इस विशालकाय पेड़ के गिरने के समय मंदिर परिसर में सावन माह रहने के कारण कई श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे. लेकिन किसी भी श्रृद्धालु को कोई नुकसान नहीं हुआ.
मंदिर के पंडा बाबा रविन्द्र ठाकुर जी ने बताया कि 60 साल पुराने इस पेड़ को लगाने के समय पांच और पेड़ लगाया गया था, इसलिए इसे पंचवृक्ष कहा जाता है. इस पंचवृक्ष के गिर जाने के कारण लोगों की कई आस्था भी समाप्त हो गई. उन्होंने कहा कि वट-सावित्री पूजा के दिन यहां अपने पति की दीर्घायु होने की कामना महिलाओं द्वारा की जाती रही है. वे यहां सैकड़ों की संख्या में पूजा करने आती थी.
वहीं कई श्रद्धालुओं का कहना है कि इस विशाल वृक्ष का अपने आप में गिरना और किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना बाबा की असीम कृपा से ही संभव है.
ये बाबा की ही कृपा थी जो 07 दुकानदार पेड़ को गिरते देख जान बचा कर निकल गए. हालांकि उन दुकानदारों का काउंटर और पूजा के सामान की आंशिक क्षति हुई. लोगों के आस्था का प्रतीक बरगद, पीपल और पाखैड़ का यह पंचवृक्ष का पेड़ शुक्रवार की सुबह 06 बजे बिना किसी हलचल, हवा के दबाव और बिना तूफान के ही गिर गया.
जबकि मालूम हो कि विगत 60 सालों में कितने ही प्रलयंकारी तूफान और भूकंप को झेल चुके वृक्ष गुरुवार की रात लगभग 9:00 बजे फटने लगा था. इसपे किसी भी मंदिर न्यास या तैनात पदाधिकारी की नजर नहीं गई. इस विशालकाय पेड़ के गिरने के समय मंदिर परिसर में सावन माह रहने के कारण कई श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे. लेकिन किसी भी श्रृद्धालु को कोई नुकसान नहीं हुआ.
मंदिर के पंडा बाबा रविन्द्र ठाकुर जी ने बताया कि 60 साल पुराने इस पेड़ को लगाने के समय पांच और पेड़ लगाया गया था, इसलिए इसे पंचवृक्ष कहा जाता है. इस पंचवृक्ष के गिर जाने के कारण लोगों की कई आस्था भी समाप्त हो गई. उन्होंने कहा कि वट-सावित्री पूजा के दिन यहां अपने पति की दीर्घायु होने की कामना महिलाओं द्वारा की जाती रही है. वे यहां सैकड़ों की संख्या में पूजा करने आती थी.
वहीं कई श्रद्धालुओं का कहना है कि इस विशाल वृक्ष का अपने आप में गिरना और किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना बाबा की असीम कृपा से ही संभव है.
60 वर्ष पुराना मंदिर परिसर का पंचवृक्ष गिरा, हो सकता था बड़ा हादसा और जान माल की क्षति
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 03, 2018
Rating:
No comments: