कोसी में बड़ी उम्मीद बनकर संघर्ष से उभरी एक संस्था, प्रगति क्लासेस के 42 में से 17 छात्रों ने मारी JEE Main में बाजी

कोसी के इलाके के एक मिथक को एक संस्था ने मात दी है और ये दर्शाने में सफल रहा है कि बड़ी सफलता के लिए बड़े जगह जाने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि मेहनत और मार्गदर्शन बड़ा होना चाहिए.

हम मिथक का आशय स्पष्ट करते कहना चाहेंगे कि इलाके के अधिकांश बच्चों को अभिभावक मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कराने कोटा, दिल्ली और पटना आदि जगहों पर ये सोचकर भेजते हैं कि इन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता सिर्फ बड़े जगहों की संस्थाएं ही दे सकती हैं. पर सहरसा के रिफ्यूजी कॉलोनी स्थित एक संस्था प्रगति क्लासेस के परिणाम चौंकाने वाले हैं. इस साल प्रगति क्लासेस में तैयारी कर रहे कुल 42 बच्चों में से 17 ने इंजीनियरिंग की JEE (Joint Entrance Examination) Main में सफलता हासिल की है जो अपने आप में इस इलाके के लिए एक रिकॉर्ड है.

जाहिर हैं, इस तगड़े रिजल्ट से संस्था काफी उत्साहित है और निदेशक कहते हैं कि 42 में 17 छात्र सफल हुए हैं और भी बढ़ने की उम्मीद है | इस सफलता की सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे सफल हुए हैं |

संस्था के छात्रों का उत्साह भी चरम पर है. छात्र कौशल कहते हैं कि प्रगति टीम के द्वारा दिए गए सही मार्ग-दर्शन के कारण ही हम सफल हो पाए. कहा कि बायोलॉजी मुख्य विषय होते हुए भी मुझे इंजीनियरिंग में सफलता मिली. यही नहीं मुझे और हमारे शिक्षकों को उम्मीद है कि हमारा रिजल्ट मेडिकल में भी होगा | अधिकतर छात्रों ने कहा है कि कई परिस्थितियों के कारण हम चाह कर भी बाहर नहीं जा सकते थे | उस स्थिति में प्रगति क्लासेज हमारे लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई. सफल छात्रा कुमारी सिमरन ने कहा कि प्रगति क्लासेज के सभी शिक्षक तन-मन से हमलोगों को पढ़ाते थे और सभी शिक्षकों के द्वारा डाउट क्लास की सुविधा एवं निरंतर टेस्ट होने के कारण हमें सफलता मिली.

छात्रों ने सफलता का श्रेय प्रगति के सभी गुरुजनों के साथ अपने माता-पिता को भी दिया, साथ ही प्रगति क्लास के संस्थापक नंदन कुमार को भी अभार व्यक्त किया जिससे सहरसा में रहकर ही ऐसा संभव हुआ. पेशे से किसान अभिभावक सुरेन्द्र यादव का कहना था कि बीमारी के कारण वे अपने पुत्र विमलेश कुमार को बाहर भेजने में असमर्थ थे और ऐसे में  यहाँ एक ही उम्मीद की किरण प्रगति क्लासेज साबित हुई और आज सफलता उनकी झोली में है.  

जबकि प्रगति क्लासेज के संस्थापक नंदन कुमार इतनी बड़ी सफलता का श्रेय अपने सभी शिक्षकों के साथ बच्चों के द्वारा किये गए कठिन परिश्रम बताते हैं.  कहते हैं कि कोशी क्षेत्र के बच्चों को कोटा एवं पटना की कमी महसूस नहीं होने देंगें. हम और भी बेहतर करने का प्रयास कर रहें हैं, इसका प्रमाण है प्रत्येक वर्ष सफलता का क्रम बढ़ता जा रहा है | 

संस्था के निदेशक डॉ० चंदन कुमार कहते हैं कि संस्था के बेहतर रिजल्ट से अब कोशी क्षेत्र के बच्चों के बीच एक उम्मीद की किरण जगी है और हमें विश्वास है कि हम अपने टीम के कठिन परिश्रम के बदौलत आने वाले समय में और बेहतर रिजल्ट दे सकेंगें और यहाँ के बच्चों के पलायन को रोक कर आर्थिक और मानसिक परेशानी से बचा सकेंगें |

बच्चों के सफलता से संस्थान के शिक्षक डॉ० वीरेंदर कुमार, ई० विजय भूषण, ई० आशीष सूरा, ई० आनंद कुमार, ई० रणवीर यादव, ई० प्रत्येन्द्र शाक्य, ई० रुपेश रंजन, ई० सूरज सिंह, ई० रविशंकर उपाध्याय, ई० उपेन्द्र यादव ने हर्ष व्यक्त किया और संस्था पर पूरा भरोसा जताया |

संघर्षपूर्ण रही है संस्था के सफलता की कहानी: दरअसल प्रगति क्लासेस की स्थापना 2014 के अंत में दो भाईयों डॉ० चन्दन कुमार BVSc. & AH (Ranchi) और नंदन कुमार ने अन्य सहयोगी ई० विजय भूषण पथिक B. Tech. (NIT Bhopal), डॉ० वीरेंदर कुमार M.B.B.S. NMCH (Patna), ई० आशीष सूरा B. Tech. (NIT Bhopal) के साथ मिलकर की | छोटे शहर में संघर्ष अधिक रहा फिर भी आर्थिक, मानसिक, समाजिक परेशानी को झेलते हुए इन्होने संस्थान को इस पिछड़े इलाके में चलाने का काम किया | इन्होने मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी कोशी ऐसे पिछड़े क्षेत्र में शिक्षण संस्थान खोलने का निर्णय लिया क्योंकि इन सबों में पढ़ाने का जुनून था तथा बड़े शहरों में बहुत सी कठिनाईयों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई की थी | अब तो संस्था ने योग्य शिक्षकों की एक बड़ी फ़ौज भी तैयार कर ली है, जो अपने-अपने विषयों में मजबूत पकड़ लिए हुए हैं.

कहते हैं नीयत अच्छी हो तो सफलता मिलनी तय है. संस्था ने कुछ गरीब और मेघावी छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा भी देना शुरू किया. बताते हैं कि यहाँ से पढ़ाई करने वाले वैसे छात्र जो गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार से आते है और उनका चयन मेडिकल तथा IIT, NIT में होने पर संस्थान के द्वारा समूचे कोर्स अवधि में 1000 रूपये मासिक  छात्रवृति भी दी जाती है |
यही नहीं, संस्था के द्वारा छात्रों में पढ़ाई तथा सफलता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कोशी क्षेत्र में लगभग 110 गाँवों में प्रगति प्रतिभा खोज प्रतियोगिता नाम से टेस्ट आयोजित कर सफल छात्रों के बीच पुरस्कार वितरण भी की गई है और कैरिअर से सम्बंधित मार्गदर्शन भी दी जाती है.

जाहिर है, काम बोलता है की तर्ज पर 42 में से 17 सफलता देकर प्रगति क्लासेज ने साबित किया है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग में सफलता हासिल करने के लिए छात्र सिर्फ बड़े शहरों का मोहताज नहीं है. प्रत्येक वर्ष सफल छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी से निश्चित रूप से यह संस्था कोसी के इलाके के लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आई है.
(वि. सं.)
कोसी में बड़ी उम्मीद बनकर संघर्ष से उभरी एक संस्था, प्रगति क्लासेस के 42 में से 17 छात्रों ने मारी JEE Main में बाजी कोसी में बड़ी उम्मीद बनकर संघर्ष से उभरी एक संस्था, प्रगति क्लासेस के 42 में से 17 छात्रों ने मारी JEE Main में बाजी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 02, 2018 Rating: 5

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