मुझे मिथ्या आरोप लगा कर बदनाम करने की हो रही साजिश: कुलपति

भू ना मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अवध किशोर राय ने मंगलवार कॊ प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर भागलपुर वि.वि. में प्रति कुलपति के रुप में उनपर गाड़ी क्रय में अनियमितता बरतने के आरोप कॊ सिरे से खारिज किया है ।

उन्होंने यह भी कहा कि  इस मामले में उन्होंने कुलाधिपति के समक्ष भी सही स्थिति रख दी है ।

उन्होंने यहाँ पत्रकारों कॊ बताया कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत प्रति कुलपति को विश्वविद्यालय की ओर से एक गाड़ी, ड्राइवर एवं उसे चलाने हेतु ईंधन देने का प्रावधान है। तद्नुसार जब मैंने 3 फरवरी 2014 को तिलकामान्झी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के प्रति कुलपति के रूप में योगदान दिया, तो मुझे भी ये सुविधाएं मिलीं। गाड़ी पुरानी थी और अक्सर खराब होती थी। 

जनवरी 2016 में ड्राइवर ने उन्हें बताया कि गाड़ी अत्यधिक खराब है। तदुपरांत मैंने  कुलपति को इसकी जानकारी दी। कुलपति ने नयी गाड़ी खरीदने की सहमति देते हुए इसके लिए प्रस्ताव बढ़ाने का मौखिक आदेश दिया। 

तदुपरांत मेरे आप्त सचिव ने 14 जनवरी 2016 को एक नई गाड़ी खरीदने हेतु एक प्रस्ताव बढ़ाया। इस प्रस्ताव को मैंने वित्त पदाधिकारी को अग्रसारित किया। वित्त पदाधिकारी ने क्रय-विक्रय समिति के सचिव के रूप में स्टोर को लिखा कि गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव क्रय-विक्रय समिति में रखा जाए। तदनुसार समिति में एक प्रस्ताव रखा गया कि विश्वविद्यालय के लिए एक स्कार्पियो या जाइलो गाड़ी खरीदी जाए। 

19 जनवरी 2016 को आयोजित समिति की बैठक में यह प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। पुनः इस प्रस्ताव को 11 फरवरी 2016 को सिंडीकेट की बैठक में भी अनुमोदित किया गया।

अंततः इंजिनीयर अरूण कुमार और कुलपति के ड्राइवर नकुल कुमार ने विश्वविद्यालय के लिए अप्रैल में वत्स ऑटोमोबाइल से एक स्कार्पियो गाड़ी खरीदी और गाड़ी में एक्सेसरीज भी लगाई। साथ ही इस आशय का प्रमाण-पत्र दिया कि गाड़ी बिल्कुल सही हालत में है। विश्वविद्यालय आने के बाद यह गाड़ी करीब 40 दिनों तक कुलपति के यहाँ रही।

फिर कुलपति के आदेश से गाङी प्रति कुलपति को आवंटित की गयी। मैंने देखा कि गाङी का टेक्स टोकन उपलब्ध नहीं हैं। मैंने इंजिनीयर से कहा कि जब तक टैक्स टोकन उपलब्ध नहीं कराया जाए, तब तक शेष भुगतान नहीं किया जाए। कुलपति ने भी इस पर सहमति दी। तदुपरांत इस संदर्भ में कुलसचिव के माध्यम से 22 जुलाई 2016 को वत्स ऑटोमोबाइल को इस आशय का पत्र भेजा गया। पत्र में लिखा गया कि यदि 7 दिनों के अंदर टैक्स टोकन नहीं दिया गया और पंजीयन नहीं कराया गया, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

इसके बाद 4 अगस्त को विश्वविद्यालय को गाड़ी का टैक्स टोकन प्राप्त हुआ। 9 अगस्त को डी. टी. ओ. से विधिवत गाड़ी को नंबर भी मिला। इसके पूर्व गाड़ी में वत्स आॅटोमोबाइल द्वारा उपलब्ध कराया गया अस्थायी नंबर लगा था। मेरे  प्रयासों से गाड़ी का पंजीयन होने से अस्थायी नंबर की जगह स्थायी नंबर मिला। यह गाड़ी का पहली बार और एकमात्र बार पंजीयन था। इसे दुबारा पंजीयन कहना सरासर गलत है और इसके आलोक में गाड़ी को सेकेंड हेंड बताना भी सर्वथा अनुचित है। 

 लेकिन  2 फरवरी 2017 को प्रति कुलपति के पद से अवकाशग्रहण करने के बाद एक साजिश के तहत गाड़ी खरीद मामले में मेरा  नाम जोड़ा गया। यह सरासर दुर्भावना से प्रेरित है।

मालूम हो कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम में प्रति कुलपति को कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। प्रति कुलपति क्रय-विक्रय समिति एवं वित्त समिति के सदस्य भी नहीं होते हैं।  प्रति कुलपति के जिम्मे स्नातक स्तर तक की परीक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी है। साथ ही उन्हें कुलपति से प्राप्त आदेशों का पालन करना होता है।

उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले में एक साजिश के तहत फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में मुझे अप्राथमिकी अभियुक्त बनाने से गहरा आघात लगा है। इसके बाद मैंने डीजीपी, बिहार; डीआइजी, भागलपुर; एसएसपी, भागलपुर एवं अन्य पदाधिकारियों को भी पूरे मामले में अपने पक्ष से अवगत कराया था। इसके बावजूद मीडिया में मेरे खिलाफ बिना मेरा पक्ष जाने एकतरफा रिपोर्टें प्रकाशित कर मुझे बदनाम करने की साजिश की जा रही है ।

अतः सोमवार को मैंने महामहिम कुलाधिपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है.
मुझे मिथ्या आरोप लगा कर बदनाम करने की हो रही साजिश: कुलपति मुझे मिथ्या आरोप लगा कर बदनाम करने की हो रही साजिश: कुलपति Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 02, 2018 Rating: 5
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