क्या दावों के अनुसार हो सकेगा मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज का सपना पूरा?

एक लंबे इन्तजार के बाद मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का काम आज भूमिपूजन के साथ ही शुरू हो गया.
      मधेपुरा का मेडिकल कॉलेज कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा. सरकार के दावों और प्लानिंग के अनुसार राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, मधेपुरा (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) का बिल्ड-अप एरिया 15,97,054 वर्ग मीटर होगा और ये 500 बेड का अस्पताल होगा. इसमें 9 ऑपरेशन थियेटर होंगें और इसमें इमरजेंसी इलाज के लिए 15 बेड होंगे. इस अस्पताल में इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) के लिए 42 बेड होंगें, मतलब कि एक साथ यहाँ 42 मरीजों को आईसीयू में भर्ती कराया जा सकेगा.
      इसके अलावे यहाँ डायलिसिस यूनिट के लिए 6 बेड होंगे और यहाँ एमआरआई, सीटी स्कैन से लेकर जांच की तमाम सुविधा उपलब्ध होगी.
      कहा यह भी जा रहा है कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा में प्रतिवर्ष 100 स्टुडेंट्स का एडमिशन लिया जाएगा और यहाँ के छात्रावास में 550 स्टुडेंट्स के रहने की सुविधा होगी. मेडिकल कॉलेज में जहाँ एयरकंडीशन ऑडिटोरियम, एयरकंडीशन लाइब्रेरी होगा वहीँ पूरा कैम्पस वाई-फाई होगा यानि पूरे कैम्पस में बैठकर कहीं भी छात्र इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे.
           वैसे मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव ने तो आज मेडिकल कॉलेज के भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान ये बात उठा ही दी कि वर्ष 2010 में ही मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के साथ ही बेतिया और पावापुरी में भी मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास हुआ था और वहां दो साल पहले से ही स्टुडेंट्स का एडमिशन होने लगा पर मधेपुरा क्यों इसमें पिछड़ गया?
       कहने-सुनने में तो सबकुछ बड़े अच्छे लगते हैं, पर बिहार की राजनीति समेत कई हालातों को देखते हुए यदि ये काम समय पर पूरे जाएँ और जितनी सुविधा की बात कही जा रही है उतना हो जाय तो निश्चित ही मधेपुरा की सूरत आने वाले दिनों में बदली-बदली सी नजर आएगी.
क्या दावों के अनुसार हो सकेगा मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज का सपना पूरा? क्या दावों के अनुसार हो सकेगा मधेपुरा में मेडिकल कॉलेज का सपना पूरा? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 27, 2014 Rating: 5

2 comments:

  1. The medical college will bring glory back to madhepura & will help in overall develpement of the area

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  2. मधेपुरा टाइम्स के अन्दर इतने बदलाव हुए है, इस पर एक लेख बनता है की कैसे और किस आधार पर नए लोग संपादक और संचालक बन गए, आखिर ये एक पब्लिक प्लेटफार्म है पारदर्शिता जरूरी है.

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