बहु आयामी व्यक्तित्व के स्वामी स्व0 विद्याकर कवि ने बिहार की
राजनीति को लम्बी अवधि तक प्रभावित ही नहीं बल्कि उँचे आदर्श और मूल्यों के मानदंड
को स्थापित किया। वे जीवन पर्यन्त राजनीति को जनसेवा को आधार माना। उन्होंने राजनीति
के विकृत चेहरे के मध्य भी अपने उज्जवल चरित्र को स्वच्छ और बेदाग रखा। सन बयालीस में
गाँधी जी के आह्वान पर राजनीति एवं सामाजिक संघर्ष गाथा का प्रारम्भ करने वाले व्यक्तित्व
का अन्त 31 जनवरी 1986 को पूर्णियां में हिन्दी राज्य भाषा की बैठक में हृदयगति के रुक जाने से हो गई।
उनके अमूल्य योगदान को ध्यान में रखते हुए उनकी पुण्य तिथि पर 31 जनवरी का सम्पूर्ण राज्य
में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
शिक्षक से राजनेता की लम्बी यात्रा में मार्यादित आचरण, उदारता, कुशल नेतृत्व,
कथनी और करनी में तालमेल
सहित अनेक गुणों का अभुतपूर्व मिश्रण के पात्र थे। अपने प्रारम्भिक जीवन में समाजसेवी
एवं साहित्य साधक के रुप में उन्होंने विशिष्ट पहचान बनायी। विद्याकर कवि काजन्म सन्
1923 में आलमनगर
के एक संभ्रान्त परिवार में हुआ था। पिता स्व0 मनमोहन कवि जो ब्रज भाषा के उद्भट
विद्वान थे, जिनकी कृति ब्रज साहित्य को काफी समृद्धि दी। पिता के संस्कार से परिपूर्ण साहित्य
प्रेम और जनसेवा भाव स्व0 कवि में कूट-कूट कर भरा था। वस्तुतः विद्याकर कवि का व्यक्तित्व
त्याग, सत्य
निष्ठा एवं सैद्धान्तिक दृढ़ता का अनुठा मिश्रण था। सार्वजनिक जीवन के उच्च पदों पर
विराजमान होकर भी उनकी विनयता, विनम्रता एवं कर्तव्यपरायणता कभी क्षति नहीं हुई। विद्याकर कवि
1942 से छात्र
जीवन से ही राजनीति एवं सामाजिक सेवा में सक्रिय थे। वे आलमनगर स्थित उच्च विद्यालय
में अवैतनिक रहकर शिक्षक बनकर बच्चों में शिक्षा का अलख जगाए। जनसेवा की महा ज्वाला
उनके अन्र्तमन में इतनी प्रचंडता से लहरें ले रही थी कि 29 फरवरी 1953 को विद्यालय से अध्यापन कार्य
त्याग कर राजनीति के समर में कूद पड़े। स्व0 कवि गाँधी और पंडित नेहरु के विचारों
से काफी प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी के साधारण कार्यकर्ता से यात्रा प्रारम्भ कर
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटि के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्रिमंडल सदस्य के रुप में विषिष्ट
सेवा प्रदान किये। वर्ष 1957 से 1967 तक विधान परिषद सदस्य रहे। एवं वर्ष 1967 से 1977 तक आलमनगर विधान सभा का प्रतिनिधित्व
कर शिक्षा मंत्री एवं पथ निर्माण मंत्री पद को सुशोभित किये। वे दोनो सदनों में तार्किक
प्रस्तुति करण और बेबाक टिप्पणी के लिए जाने जाते थे। वे अपनी ही सरकार की गलत नीति
की आलोचना से भी नहीं चूकते थे। वे सभी वर्गों के लोगों को साथ लेकर चलने की अद्भुत
क्षमता रखते थे। जिस कारण बिहार कांग्रेस की धुरी जीवन पर्यन्त बने रहे। राजनीति में
चाटुकारिता को कतई पसन्द नहीं करते थे। वर्ष 1969 में जब प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति
दयनीय चल रही थी, तो इन्हें प्रदेश कांग्रेस कमिटि के अध्यक्ष का पदभार पार्टी द्वारा इन्हें सौंपा
गया जिसे बखूबी इनके द्वारा निभाया गया। स्व0 कवि ने अपने क्षेत्र में सर्वांगीण
विकास में अमूल्य योगदान दिया जो अविस्मरणीय एवं मील का पत्थर है। आलमनगर क्षेत्र का
दक्षिणी भाग जो हर वर्ष बाढ़ के ताण्डव से त्रस्त रहता था वहाँ मुख्यालय से भू भाग के
अन्तिम छोड़ तक सड़क मार्ग का निर्माण इन्हीं के द्वारा किया गया था, जो क्राईम कंट्रोल
रोड के नाम से आज भी जाना जाता है। आलमनगर विधान सभा में सड़क, बिजली, जल मीनार, स्कूल आदि का निर्माण इन्होंने
अपने कार्यकाल में कराया। स्व0 कवि के द्वारा ही इस अति पिछड़े क्षेत्र में वीरपुर- बिहपुर पथ
को सामरिक महत्ता को बताते हुए इसे राजपथ का दर्जा देने के लिए बिहार विधान सभा में
पारित करवाकर केन्द्र की स्वीकृति के लिए भेजा गया था।
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मधेपुरा
की ऐसी महान हस्ती को उनकी पुण्यतिथि पर नमन...
(आलमनगर से ब्रजेश सिंह की रिपोर्ट)
बहु आयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे मधेपुरा के विद्याकर कवि: पुण्यतिथि आज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 31, 2014
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