स्टेट बैंक की मनमानी से अनगिनत का हुआ खाता ब्लॉक

राकेश सिंह /०५ सितम्बर २०११
ग्राहकों की संख्यां में लगातार हो रही वृद्धि और प्रतिवर्ष रिकॉर्ड तोड़ कमाई देने वाले भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा की कुछ हरकतों ने अब ग्राहकों को परेशान करना शुरू कर दिया है.पूर्व में इस बैंक ने कार लोन लेने वाले सैंकड़ों ग्राहक जो नियमित रूप से किश्त अदा कर रहे थे,को नोटिस कर दिया कि आपके द्वारा कई किश्त की राशि जमा नहीं की गयी है और आप पर काफी बकाया हो गया है.ग्राहकों ने जब सबूत के साथ बैंक का रूख किया तो मामला पुराने कम्प्यूटर और सीबीएस होने के बाद नए कम्प्यूटर के बीच फंसता नजर आया और बैंक ने भली-भांति देखने के बाद पाया कि ग्राहक सही हैं और बैंक का नोटिस गलत.यहाँ बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या बैंक को सिर्फ अपने समय और परेशानी की फ़िक्र है,ग्राहकों की नहीं?क्यों नही बैंक पहले अपनी कमी को निहारती है,फिर ग्राहकों को नोटिस करती है.
   अब दूसरा मामला भी इससे कुछ कम गंभीर नहीं है.इस बार तो बैंक ने बिना किसी नोटिस के कई ग्राहकों के खाते से लेनदेन पर ही रोक लगा दी है.यहाँ तक कि सरकारी विभागों में कार्यरत ग्राहकों के खाते भी बैंक की इस कार्यवाही में आ गए हैं.ग्राहक जब बैंक जाते हैं तो उनसे पहचान पत्र की मांग की जाती है तब जाकर उनका खाता सही हो पाता है.बताया ये भी गया है कि ऐसा दस वर्षों से पुराने खाते,जिन्हें बिना पह्चान पत्र के खोल दिया गया था,उन्हीं खाताधारियों के साथ इस तरह का सलूक किया गया है.नतीजतन, ऐसे सरकारीकर्मियों का वेतन भी खाता में न डालने की बजाय उसके बदले  बैंकर्स चेक बना कर बैंक में कई दिनों से रख दिया गया है.यानी महीने दिन काम करने के बाद भी सरकारी सेवकों को बैंक की वजह से समय से वेतन नहीं मिल पाया,जबकि ईद जैसे पर्व को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्मचारियों को पर्व से पहले २६ अगस्त तक ही वेतन देने की घोषणा की थी.पर बैंक की इस करतूत से कई मुस्लिम कर्मचारियों को भी समय से पैसे नहीं मिल सके.
   यहाँ भी कई सवाल खड़े होते हैं.बैंक ने बिना पहचान के किस आधार पर ग्राहकों के खाते खोल दिए? ऐसे में परिचयदाता की क्या भूमिका रह जाती है?क्या सरकारी कर्मचारी होने के बाद भी बैंक द्वारा अलग से पहचान माँगना और बिना कहे-सुने खाता ब्लॉक कर देना उचित है? दस वर्षों से अधिक जिस खाते से सही ढंग से लेनदेन हो रहे हों,उन्हें क्या बैंक इस तरह के बेतुका कदम उठाने के पूर्व एक नोटिस नहीं भेज सकती थी?ऐसे में यदि कोई ग्राहक इलाज वगैरह के लिए एटीएम कार्ड लेकर कहीं बाहर जाता है और पैसे न निकाल पाने के कारण उनके साथ कोई बड़ा हादसा हो जाता है,तो क्या इसकी भरपाई बैंक प्रशासन कर पायेगा? जाहिर है,बैंक के पास इन सवालों के माकूल जवाब नहीं होंगे.
स्टेट बैंक की मनमानी से अनगिनत का हुआ खाता ब्लॉक स्टेट बैंक की मनमानी से अनगिनत का हुआ खाता ब्लॉक Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 05, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. हां भाई आपका कहना एकदम सही है ।ईसके लिये बैंक को बिना सूचना दिये कोई कदम नहीं उठाना चाहिये था । इसके लिये आप www.india.gov.in ke home portal pe public grivences me bank custumer se complain karwa sakate hai.aapako resoponce 101% milega.

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