क्या आज महंगाई सच में बहुत बढ़ी हैं?

कुछ दिनों पहले मैं क्लासिक सिनेमा में साठ के दशक का एक सिनेमा देख रहा था. उसमें हीरो की माँ हीरो को समझा रहीं थी की बेटा इतनी महंगाई बढ़ गई हैं कुछ समझ नहीं आता तुम अब कुछ काम शुरू कर दो ...वगैरह..वगैरह.. कमोबेश  मैंने सतर, अस्सी और नब्बे की दशक की सिनेमा में भी कहीं न कहीं इस वाक्य को बोलते सुना हैं. और अब भी सुन रहा हूँ. समझ में नहीं आ रहा कि आखिर सच में महंगाई कम कब थी? अंग्रेजों के ज़माने में या कृष्ण युग में?
      और अगर महगाई आज इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं तो बाजार को तो पूर्णतः बैठ जाना चाहिए था. मगर जब गौर करेंगे तो देखेंगे कि आज से बीस साल पहले रोड पर जितनी गाडियां थी, उससे १०० गुना ज्यादा आज हैं, जिसके फूस के घर थे वो धड़ाधड़  पक्के के बन रहे हैं. मोबाइल तो रिक्शा वालों के पास भी हैं कुछ के पास एंड्रॉयड भी.. तो भैया ये महगाई कर क्या रही हैं? हाँ, अगर आप सन 1995 के पेट्रोल के दामों से  आज के दामों की तुलना करेंगे तो बस आपको महगाई नजर आएँगी.. मगर जब आप अपने दादा जी के ज़माने से अपने ज़माने के विकास की तुलना करेंगे तो जवाब भी मिल जायगा..
      मेरे अनुसार, महगाई का रट बस वही लोग लगा रहे हैं जिनकी आमदनी आज से दस साल पहले जितना थी आज भी उतनी ही सीमित है या फिर उस अनुपात में नहीं बढ़ी जिस अनुपात में देश का विकास हुआ हैं. लोग विकास और सुविधा चाहते हैं पर उसका दाम नहीं देना चाहते.. जितनी तेजी से विकास और सुविधा बढती हैं अगर उसी के अनुपात से कमाई का जरिया भी लोग बढ़ाए तो सवाल ही पैदा नहीं लेता कि  महगाई डायन खाय जात हैं का गाना में सुर मिलाने वालों की संख्या बढे..
      आपको छोटे शहर से भी विमान सुविधा चाहिए, आपको रोड भी मस्त चाहिए, आपको मल्टीप्लेक्स सिनेमा भी चाहिए, गाड़ियों में भी आप्शन चाहिए, गांव में ब्रॉडबैंड  चाहिए, हाइटेक हॉस्पिटल चाहिए, चौबीस घन्टे लाइट चाहिए, और भी बहुत कुछ चाहिए तो अपने आप को तैयार रखें और जेब को गर्म रखें पैसे तो लगेंगे ही... और हाँ.. अगर आपको नहीं चाहिए तो भी अपने को तैयार रखना होगा क्यूंकि केवल आपके लिए विकास रुकने वाला नहीं.. चाहें तो आप विकास के हिस्सा होंगे या फिर गाते रहें- महगाई डायन खाय जात हैं”.   

--संदीप सांडिल्य,समिधा फाउंडेशन,मधेपुरा
क्या आज महंगाई सच में बहुत बढ़ी हैं? क्या आज महंगाई सच में बहुत बढ़ी हैं? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 03, 2011 Rating: 5

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