बताया गया कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में अध्यनरत पीएचडी भौतिकी के छात्र अरमान अली और वनस्पति विज्ञान की छात्रा मौसम कुमारी ने राष्ट्रपति को आवेदन के माध्यम से 19 फरवरी को आत्मदाह की स्वीकृति मांगी है. भौतिकी विषय से पीएचडी के शोधार्थी छात्र और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अरमान अली ने आवेदन में कहा है कि भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालू नगर, मधेपुरा बिहार के कुलपति और प्रॉक्टर के द्वारा छात्र विरोधी, दमनात्मक, तानाशाही रवैए, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर मनुवादी और सामंतवादी तरीके से अन्यायपूर्ण निर्णय एवं मानसिक प्रताड़ना के विरुद्ध दिनांक 19 फरवरी 2025 को आत्मदाह करेगा.
अरमान ने आवेदन में लिखा है कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के जिम्मेदार छात्र संगठन का अध्यक्ष होने के नाते मेरे द्वारा पूर्व से छात्र हितों से जुड़े सवालों को लेकर कुलपति से प्रतिनिधिमंडल के तौर पर कई बार मिला और कई छात्र हितों के सवाल पर आंदोलन भी किया किंतु वर्तमान कुलपति प्रो. (डॉ.) विमलेंदु शेखर झा ज्वाइन करते ही मुझे छात्रों के मुद्दे को उठाने से रोकने के लिए प्रॉक्टर कार्यालय से GS (Proc.-202/18)-290/24 Dated-16/03/2024 को मुझे नोटिस प्राप्त कराया गया था कि विश्वविद्यालय में छात्रों के हित में किसी भी गतिविधि में भाग नहीं ले और मौखिक रूप से भी विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर एवं विभिन्न पदाधिकारी के द्वारा डराया–धमकाया गया था कि कभी भी छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में धरना देने आओगे तो तुम्हारा जीवन बर्बाद कर दूंगा और भविष्य में विश्वविद्यालय द्वारा किसी भी तरह की डिग्री निर्गत नहीं किया जाएगा और कुछ ही दिनों के बाद बदले की भावना से पैट–21 के कोर्स वर्क के परीक्षा में विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा मुझे और मेरे अन्य साथियों को जानबूझकर फेल कर दिया गया. जिसके बाद पुनः छात्र संगठन आइसा समेत अन्य छात्र संगठनों के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद परीक्षा परिणाम में सुधार कर पास किया गया और कुलपति के द्वारा साफ तौर पर कहा गया है यह आखिरी मौका है आगे से छात्र हितों की किसी मुद्दों को लेकर आंदोलन करोगे तो अब तुमको निलंबित कर विश्वविद्यालय में प्रवेश से रोक दिया जाएगा.
किंतु विगत दिनों विश्वविद्यालय के एक शिक्षक और तत्कालीन परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. शंकर कुमार मिश्रा पर छात्राओं से बदसलूकी और महिला उत्पीड़न की शिकायत आयी. जिसकी उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई करने के बजाए आरोपी शिक्षक को पदोन्नति करते हुए परीक्षा नियंत्रक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई. इसके विरोध में हो रहे आंदोलन में शामिल होने के वज़ह से मुझे पीएचडी कोर्स से निलंबित कर दिया गया और पीएचडी में मेरा रजिस्ट्रेशन भी रोक दिया गया है.
मेरा निलंबन और रजिस्ट्रेशन का रोकना विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की समस्याओं पर मुखर होकर बोलने तथा उनके आंदोलनों का नेतृत्व करने पर भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के सामंतवादी और मनुवादी कुलपति के द्वारा बदले की भावना से किया गया है.
पिछले दिनों भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में छात्रों की जायज़ मांगो पर चलाए जा रहे लोकतांत्रिक आंदोलन का जवाब कुलपति महोदय ने छात्रों के निलंबन, रजिस्ट्रेशन रोकने और मुकदमे की अनुशंसा से दिया है, छात्र हितों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने एवं सवालों को हल करने के बजाए आंदोलन के नेतृत्व करने पर मुझे निलंबन करना, पीएचडी रजिस्ट्रेशन रोकना और विश्वविद्यालय में प्रवेश से रोक लगाना कुलपति के सामने कहीं भी दिख जाए तो मेरी जाती, धर्म को लेकर बार-बार टिप्पणियां कर के मुझे जलील किया जाता था. यहां तक कि मेरे पिता विश्वविद्यालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी है इस लिए कई बार मुझे यहां तक बोला जाता है की चपरासी का बेटा विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों के सामने ज़ुबान लड़ाएगा और आंदोलन करेगा.
बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रॉक्टर के द्वारा मेरे पीएचडी गाइड (सुपरवाइजर) डॉ० अनिल कुमार को दबाव देकर कि अगर आप अरमान अली का गाइड (सुपरवाइजर) बनने से मना नहीं करते हैं तो आपकी सेलरी बंद कर आपको सुदूर देहात के कॉलेज में ट्रांसफ़र कर देंगे यह दबाव विश्वविद्यालय प्रशासन ने देकर मेरे गाइड (सुपरवाइजर) से रिफ्यूजल दिलवा दिया गया है. अब मेरे गाइड ने पीजीआरसी करवा के बीच में ही मेरे गाइड बनने से हमको यह कह कर मना कर दिया कि अगर हम तुम्हारा गाइड बने रहते हैं तो मेरी नौकरी चली जाएगी.
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रॉक्टर, और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के अन्यायपूर्ण निर्णय एवं अकर्मण्य, सामंतवादी और मनुवादी व्यवहार से मैं अब मानसिक तौर पर बहुत ज्यादा प्रताड़ित हो चुका हूं. पूर्व के दिनों में महामहिम कुलाधिपति को भी लिखित तौर पर बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति की अन्यायपूर्ण निर्णय, तानाशाही रवैए और न्याय के लिए आवेदन के माध्यम से गुहार लगा चुका हूं.
अरमान ने कहा कि छात्र-छात्राओं के सवाल और हक अधिकार के लिए आंदोलन का नेतृत्व करना ग़लत है. जाती धर्म के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा दुर्व्यवहार करना सही है और चपरासी के बेटे को पीएचडी करना और छात्र संगठन का नेतृत्व करना ग़लत है तो मुझे आत्मदाह की स्वीकृति दे ताकि व्यवस्था में बदलाव हो सके और मेरी मौत की जिम्मेदार सीधे तौर पर बीएन मंडल विश्वविद्यालय प्रशासन होगी.
वहीं वनस्पति विज्ञान विषय में पैट- 2021-24 से पीएचडी का छात्रा (रिसर्च स्कॉलर) मौसम प्रिया ने राष्ट्रपति के नाम आत्मदाह की स्वीकृति प्रदान करने हेतु आवेदन पत्र में कहा है कि देश के सबसे पुराने छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) की राज्य परिषद् के सदस्य पद पर कार्यरत हूं.
एआईएसएफ छात्र संगठन आज़ादी के आंदोलन से लेकर अब तक देश भर में छात्रों के हक अधिकार के संघर्षरत रही हैं और भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के जिम्मेदार छात्र संगठन के राज्य परिषद के सदस्य होने के नाते मेरे द्वारा पूर्व से छात्र हितों से जुड़े सवालों को लेकर आंदोलन भी किया जाता रहा है, किंतु वर्तमान कुलपति प्रो. (डॉ.) विमलेंदु शेखर झा ज्वाइन करते ही मुझे छात्रों के मुद्दे को उठाने से रोकने के लिए और छात्रों के हित में किसी भी गतिविधि में भाग नहीं लेने के लिए और मौखिक रूप से डराया–धमकाया जाता रहा एवं विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर एवं विभिन्न पदाधिकारी के द्वारा भी डराया–धमकाया गया. और कहा कि किसी भी आंदोलन में भाग लोगे तो भविष्य बर्बाद कर दूंगा और आगे कोई डिग्री भी निर्गत नहीं होने दूंगा.
किंतु विगत दिनों विश्वविद्यालय के एक शिक्षक और तत्कालीन परिसंपदा पदाधिकारी डॉ. शंकर कुमार मिश्रा पर छात्राओं से बदसलूकी और महिला उत्पीड़न की शिकायत आयी जिसकी उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई करने के बजाए आरोपी शिक्षक को पदोन्नति करते हुए परीक्षा नियंत्रक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई, एक लड़की होने के नाते दूसरी लड़कियों पर हुई अत्याचार के खिलाफ न्याय की लड़ाई में साथ देना मैं अपनी कर्तव्य को समझी और परीक्षा नियंत्रक के विरोध में हो रहे आंदोलन में शामिल होकर छात्रा की न्याय के लिए हो रहे आंदोलन में मजबूती से खड़ी रही. जिस वज़ह से मुझे पीएचडी कोर्स से निलंबित कर दिया गया और पीएचडी में मेरा रजिस्ट्रेशन भी रोक दिया गया है.
वहीं मौसम प्रिया ने कहा कि मेरा निलंबन और रजिस्ट्रेशन को रोकना विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की समस्याओं पर मुखर होकर बोलने तथा उनके आंदोलनों का नेतृत्व करने पर भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के सामंतवादी और मनुवादी कुलपति के द्वारा बदले की भावना से किया गया कार्रवाई है.
पिछले दिनों भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में छात्रों की जायज़ मांगो पर चलाए जा रहे लोकतांत्रिक आंदोलन का जवाब कुलपति महोदय ने छात्रों के निलंबन, रजिस्ट्रेशन रोकने और मुकदमे की अनुशंसा से दिया है, छात्र हितों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने एवं सवालों को हल करने के बजाए आंदोलन के नेतृत्व करने पर मुझे निलंबन करना, पीएचडी रजिस्ट्रेशन रोकना और विश्वविद्यालय में प्रवेश से रोक लगाना.
मौसम प्रिया ने कहा कि चूंकि मैं पिछड़े वर्ग के यादव जाती से आती हूं इसीलिए कुलपति के सामने कहीं भी दिख जाए अछूत के तरह मेरे साथ व्यवहार किया जाता था. कुलपति कार्यालय में मुझे अपनी बातों को रखने के लिए जाने से रोक दिया जाता है और मेरा प्रवेश वर्जित कर दिया गया है और कभी विश्वविद्यालय कैंपस में मुझे बार-बार जलील किया जाता हैं. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रॉक्टर, और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के अन्यायपूर्ण निर्णय एवं अकर्मण्य, सामंतवादी और मनुवादी व्यवहार से मैं अब मानसिक तौर पर बहुत ज्यादा प्रताड़ित हो चुकी हूं.
मौसम प्रिया ने कहा है छात्र-छात्राओं के सवाल और हक अधिकार के लिए आंदोलन का नेतृत्व करना ग़लत है, जाती, वर्ग, लिंग के आधार पर विश्विद्यालय प्रशासन के द्वारा दुर्व्यवहार करना सही है, छात्र संगठन का नेतृत्व करना ग़लत है तो मुझे आत्मदाह की स्वीकृति दे ताकि व्यवस्था में बदलाव हो सके.

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