श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन: ध्रुव, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार प्रसंग का वर्णन

मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र के दुर्गा स्थान में श्रीमद् भागवत कथा के छः दिवसीय आयोजन में आज दूसरे दिन ध्रुव चरित्र, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार प्रसंग पर कथा सुनाईगई. कथा वाचिका माँ ध्यान मूर्ति जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को दिखावा न करते हुए भगवान को सच्चे हृदय से याद करना चाहिए. 

कथा के दौरान कहा कि मनु और शतरूपा के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हुईं. पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उत्तानपाद. राजा उत्तानपाद की दो रानियां थीं. एक का नाम सुरुचि और दूसरी का नाम सुनीति था. राजा सुरुचि को अधिक प्यार करते थे. उनके पुत्र का नाम उत्तम और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था. बालक ध्रुव एक बार पिता की गोद में बैठने की जिद करने लगता है लेकिन सुरुचि उसे पिता की गोद में बैठने नहीं देती है. ध्रुव रोता हुआ मां सुनीति को सारी बात बताता है. मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह ध्रुव को भगवान की शरण में जाने को कहती हैं. पांच वर्ष का बालक ध्रुव राज्य छोड़कर वन में तपस्या के लिए चला जाता है. नारद जी रास्ते में मिलते हैं और ध्रुव को समझाते हैं कि मैं तुम्हें पिता की गोद में बैठाउँगा लेकिन ध्रुव ने कहा कि पिता की नहीं अब परम पिता की गोद में बैठना है. कठिन तपस्या से भगवान प्रसन्न हो वरदान देते हैं.

अटल भक्ति ने दिलाई अटल पदवी

भीषण बारिश और आंधी, तूफान भी उसे डिगा नहीं सके. नारद मुनि के समझाने पर भी ध्रुव ने तपस्या नहीं छोड़ी. कठिन तपस्या देख भगवान ध्रुव के सामने प्रकट हुए और उन्हें ब्रह्मांड में अटल पदवी दी. आज भी ध्रुव तारा अपने स्थान पर अटल रहते हुए चमक बिखेरता है. कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे, अंत में आरती कर प्रसाद वितरण किया गया.

भगवान की भक्ति में ही शक्ति है

कथावाचिका ने कहा कि भागवत कथा सही मार्ग दिखाता है, भक्ति करनी है तो ध्रुव और भक्त प्रहलाद जैसी करो. भगवान ने प्रहलाद के लिए अवतार लेकर हिरण्कश्यप का वध किया था. यदि भक्ति सच्ची हो तो ईश्वरीय शक्ति अवश्य सहायता करती है.

प्रहलाद की कथा

भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए कथा वाचिका ने कहा कि पिता अगर कुमार्ग पर चले तो पुत्र का कर्तव्य है उसे सही मार्ग पर लाए. तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद प्रहलाद ने भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा. भगवान ने नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर अपने परमधाम को पंहुचाया.

उन्होंने कहा कि सभी अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें, जिससे वे बुढ़ापे में अपने माता पिता की सेवा कर सकें.

श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन: ध्रुव, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार प्रसंग का वर्णन श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन: ध्रुव, भक्त प्रह्लाद चरित्र और नरसिंह अवतार प्रसंग का वर्णन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 22, 2023 Rating: 5

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