फ्री एजुकेशन में बीएनएमयू की नीति नहीं है ईमानदार- राठौर

राज्य सरकार, राजभवन व उच्च न्यायालय के सख्त आदेश के बाद भी बीएनएमयू फ्री गर्ल्स, एससी, एसटी एजुकेशन को जमीन पर उतारने में सफल नहीं हो पा रहा है. इसके पीछे का मूल कारण बीएनएमयू की सोच में खोट होना है. ये बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कुलपति को पत्र लिख बीएनएमयू की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए कहा. 

छात्र नेता राठौर ने कहा कि उच्च न्यायालय पटना में सीडब्लूजेसी संख्या 815/2020 में रंजित पंडित बनाम राज्य सरकार में कोर्ट का स्पष्ट निर्णय है कि निःशुल्क शिक्षा को हर हाल में लागू ही नहीं किया जाए बल्कि 24 जुलाई 2015 के बाद लिए गए शुल्क को हर हाल में वापस करने की गारंटी की जाए. इस संबंध में 17 जुलाई 2021 को अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग द्वारा विभागीय संकल्प संख्या 1475, दिनांक 24/7/2015 के आलोक में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा व पूर्व में लिए गए शुल्क के वापसी की समीक्षा की गई थी. जिसमें अधिकांश विश्वविद्यालयों ने शुल्क वापसी की बात कही थी, जिसमें बीएनएमयू संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया था.

शिक्षा विभाग के आदेश के बाद भी समान शुल्क को अब तक लागू नहीं करा सका बीएनएमयू 

राठौर ने कहा कि 17 जुलाई 2021 को अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के साथ हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव ने कॉलेज व विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए अतिशीघ्र समरूपता लाते हुए समान शुल्क लागू करने की बात कही थी और कहा था कि उसके बाद ही विभाग कोई पहल कर सकेगा. दूसरी ओर छात्र संगठन एआईएसएफ इस मुद्दे को पहले से ही उठाता रहा है. संगठन के लगातार आंदोलन के बाद आखिरकार 16 सितम्बर को सिंडिकेट ने इस पर पहल का निर्णय लिया लेकिन विश्वविद्यालय ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई. फिर विरोध के बाद सीनेट, सिंडिकेट नजदीक होने के कारण फैसले के  चार माह बाद 01 फरवरी को समान शिक्षा के संबंध के कुलसचिव तीन सदस्यीय समिति का गठन कर रिपोर्ट मांगा है. राठौर ने अति गंभीर मामला होने के बाद भी इसे बीएनएमयू का लापरवाही वाला रवैया बताया है.

दबे छिपे ली जाती है फीस 

राठौर ने विश्वविद्यालय की नियत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बीएनएमयू ने सरकार द्वारा घोषित फ्री गर्ल्स, एससी, एसटी एजुकेशन के प्रचार प्रसार पर गंभीरता नहीं दिखाई, जिसका परिणाम है कि अभी भी विभिन्न स्तरों पर दबे छुपे तरीके से एडमिशन के समय फीस ले लिया जाता है. बीएनएमयू प्रशासन ने इस पर रोक लगाने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं अपनाया. राठौर ने यह भी आरोप लगाया कि इसलिए जान बूझकर एडमिशन के नोटिस पर निःशुल्क शिक्षा की चर्चा नहीं की जाती है. छात्र नेता राठौर ने कुलपति को लिखे पत्र में मांग किया है कि अविलंब समान शुल्क लागू करते हुए निःशुल्क शिक्षा को शत प्रतिशत लागू किया जाए.

फ्री एजुकेशन में बीएनएमयू की नीति नहीं है ईमानदार- राठौर फ्री एजुकेशन में बीएनएमयू की नीति नहीं है ईमानदार- राठौर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 09, 2023 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.