भारत की पहली महिला शिक्षिका थी सावित्रीबाई फुले: डॉ. जवाहर पासवान

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले जिन्होंने दलित महिलाओं को हक दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. उक्त बातें राजकीय अम्बेडकर कल्याण छात्रावास‌ मुरलीगंज मधेपुरा में सावित्रीबाई फुले जयंती समारोह में के.पी.कालेज के प्रधानाचार्य सह सीनेट एवं सिंडिकेट के सदस्य डॉ.जवाहर पासवान ने कही.

उन्होंने ने कहा कि महिला सशक्तिकरण व शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने कई कार्य किए. 19वीं शताब्दी के समाज में कई रुढ़िवादी कुरितियां व प्रथाएं व्याप्त थी. इन सबका सावित्रीबाई ने पुरजोर विरोध किया. वे महिलाओं को हक दिलाने के लिए डटी रही, संघर्ष किया लेकिन हार नहीं मानी.

सावित्रीबाई फुले भारत की सबसे महान हस्तियों में से एक थी. उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर महाराष्ट्र तथा पूरे भारत में महिलाओं के हक के लिए लड़ाई लड़ी थी. उन्हें मुख्य तौर पर इंडिया के फेमिनिस्ट मूवमेंट का केंद्र माना जाता था. सावित्रीबाई फुले बहुत ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी स्त्री थी.

सावित्री बाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले अर्थात् ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर मुख्यतः शिक्षा के क्षेत्र में काम किया था. सावित्रीबाई फुले को भारत के पहले बालिका विद्यालय की प्रथम प्रिंसिपल होने का ग़ौरव प्राप्त है. इतना ही नहीं ये पहले किसान विद्यालय की संस्थापिका भी थी.

महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को महाराष्ट्र के साथ-साथ भारत में सामाजिक सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं. महिलाओं, दलित, आदिवासी और पिछड़े हुए लोगों की शिक्षा का श्रेय इनको ही जाता है. सावित्रीबाई फुले का जीवन एक मिशन की तरह था. उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य बना रखा था कि कैसे भी करके सामाजिक जीवन को ऊपर उठाना है.विधवा विवाह पर उस समय पूर्ण रूप से प्रतिबंध था, सती प्रथा का प्रचलन था. इस वजह से ज्यादातर महिलाओं का जीवन कष्ट में गुजरता था और समाज में उनको लोग देखना तक पसंद नहीं करते थे. सावित्री बाई फुले ने विधवा विवाह करवाने पर ज़ोर दिया. महिलाओं की मुक्ति के साथ साथ दलित और आदिवासी महिलाओं की शिक्षा का स्तर उस समय नहीं के बराबर था. महिला शिक्षा पर कई तरह के सामाजिक प्रतिबंध लगे हुए थे, जिन्हें दूर करने में इन्होंने अपना जीवन लगा दिया. पुणे में लड़कियों के लिए पहला विद्यालय 1848 में शुरू किया गया था. इस कदम का समाज ने उनके साथ साथ उनके परिवार का भी विरोध शुरू कर दिया. सन् 1852 तक फुले परिवार ने 3 विद्यालय प्रारंभ कर दिए थे. शिक्षा के क्षेत्र में अतुल्य योगदान देने के लिए पूरे परिवार को ब्रिटिश सरकार द्वारा 16 नवंबर को सम्मानित किया. इसी वर्ष सावित्रीबाई को सर्वश्रेष्ठ शिक्षिका के सम्मान से सम्मानित किया गया. ”सावित्रीबाई फुले का इतिहास” गवाह देता है कि उन्होंने समाज के उत्थान के लिए कितना बड़ा त्याग किया और कई तरह की यातनाएं झेली थी.

कार्यक्रम में छात्रावास अधीक्षक प्रो .महेंद्र मंडल, समन्वयक ललन कुमार, डॉ अमरेन्द्र कुमार, डॉ शिवा शर्मा, डॉ त्रिदेव निराला, डॉ सुशांत कुमार सिंह, डॉ चन्द्रशेखर आजाद, डॉ प्रतीक कुमार, डॉ पंकज कुमार, डॉ विजय पटेल प्रधान सहायक नीरज कुमार निराला, अभिषेक कुमार लव कुमार आदि उपस्थित थे.

भारत की पहली महिला शिक्षिका थी सावित्रीबाई फुले: डॉ. जवाहर पासवान भारत की पहली महिला शिक्षिका थी सावित्रीबाई फुले: डॉ. जवाहर पासवान Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 03, 2023 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.