इस अवसर पर मलेरिया के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए चिकित्सा पदाधिकारी डा. श्री कुमार ने बताया कि मलेरिया परजीवी कीटाणु इतने छोटे होते हैं कि उन्हें सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है. ये परजीवी मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के खून में पाये जाते हैं. मलेरिया मादा एनोफ़िलीज़ जाति के मच्छर से मलेरिया का रोग फैलता है. जब संक्रमित मादा एनोफ़िलीज़ मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्त में मलेरिया परजीवी को पहुंचा देता है. संक्रमित मच्छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं.
मलेरिया के लक्षण बताते हुए कहा कि अचानक सर्दी लगना, कँपकपी लगना, ठंड के कारण रजाई कबंल ओढ़ना पड़ता है. गर्मी लगकर तेज बुखार होना, पसीना आकर बुखार कम होना व कमजोरी महसूस करना है. कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है. अतः तुरंत रक्त की जांच करा कर उसका उपचार करना चाहिए. डा. सचिन ने लोगों को बताया की घर एवं घर के आसपास बने गड्ढों, नालियों, बेकार पड़े खाली डिब्बों, पानी की टंकियों, गमलों, टायर, ट्यूब में पानी एकत्रित न होने दें. साथ ही जमे हुए पानी में मिट्टी के तेल की कुछ बूंदें डाल दें. उन्होंने कहा कि सभी लोगों को सोते समय मच्छरदानी अथवा मच्छर भगाने वाली क्रीम या अगरबत्ती का प्रयोग जरूर करना चाहिए तथा मलेरिया से बचाव हेतु डीडीटी या एसपी स्प्रे का छिड़काव में छिड़काव कर्मियों का सहयोग प्रदान करें.
मौके पर बीएचएम पियूष वर्धन, बीसीएम अंजनी कुमारी, एसटीएस मोनी कुमारी, कार्यपालक सहायक ज्ञान प्रकाश, खुशबू कुमारी, बीसीभीएल प्रियंका कुमारी, एएनएम गीता भारती, डब्लुएचओ राजेश रंजन सिन्हा, सीवीसी रूपेश कुमार, सन्नी कुमार, सोनु भारती, राम नारायण परमाणी मौजूद थे.

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