मालूम हो कि मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड में कुल 13 पंचायत हैं. तेरह पंचायत में से नौ पंचायत बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित है. जिसमें हर वर्ष बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाता है और जिससे हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो जाती है साथ ही बाढ़ का पानी आने से लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और इस बाढ़ की वजह हर वर्ष लगभग आधे दर्जन लोगों की मौत बाढ़ के पानी में डूबने से होती है. इस वजह से लोगों को बाढ़ के आने से चिंता बढ़ जाती है. पशु के लिए चारे की समस्या हो जाती है.
अभी प्रखंड के फुलौत पश्चिमी वो पूर्वी, मोरसंडा में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. पशु पालक अपने मवेशी को लेकर ऊपरी स्थान पर जाने को मजबूर हैं. लोगों का कहना है कि ये तो हर वर्ष का पर्व है और चार महीने तक पानी के बीच ही अपना जीवन व्यतीत करते है. वहीं लोगों को जाने-आने के लिए रास्ते का भी बहुत दिक्कत है. झंडापुर, करेलिया, अमनी, मुसहरी, घसकपूरा बासा, समेत दर्जनों गॉव की ओर जाने आने के लिए सिर्फ एक साधन है और वो है नॉव. इन सब को जोड़ने वाली मुख्य मार्ग 2008 में कटाव से धार में तब्दील हो गया है.
वहीं इस के लिए पिछले सात वर्षों से काफी विरोध प्रदर्शन के बाद तियर तोला में तेरासी पुल का निर्माण इस वर्ष पूरा हुआ लेकिन सड़क निर्माण नहीं हुआ है. जिससे अभी से ही नॉव से आने-जाने को मजबूर हैं. आए दिन घटना घटती रहती है और लोगों की जान जाती रहती है. उधर नाविक भी नाराज दिख रहे हैं. नाविकों का कहना है कि पिछले वर्ष का आज तक हमको हमारे काम का पेमेंट सरकार द्वारा नहीं किया गया है. हम लोग कैसे काम करें. हम लगातार चौसा अंचल के चक्कर लगाते रहेंगे. इस बार जब तक हमारा रुपया नहीं दिया जाएगा हम नॉव नहीं चलाएंगे.
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