आजादी के बाद शिक्षा और शिक्षक दोनों में गिरावट, उसे सुधारने की जरूरत - प्रो. विवेका

मधेपुरा जिला मुख्यालय के चन्द्रतारा मेमोरियल हॉल में आज प्राइवेट स्कूल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन मधेपुरा के बैनर तले शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर  'भारत में आजादी के सात दशक बाद शिक्षा और शिक्षक' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

परिचर्चा का उद्घाटन करते हुए बीएनएमयू के कुलानुशासक सह पूर्व प्राचार्य डॉ. विश्वनाथ विवेका ने कहा कि शिक्षक विद्यालय के रीढ़ और शिक्षा दान उनका दायित्व है लेकिन आज दोनों में कमी आई है। अतीत के उस द्रोणाचार्य की खूब चर्चा होती है, जिसने एक एकलव्य का अंगूठा काटा था लेकिन आज तो सरकारी संस्थाओं में प्रायः बच्चों के ही अंगूठे काटे जा रहे हैं। जिसकी चर्चा कहीं नहीं होती है। आज जो बच्चे अपने मुकाम तक जा रहे हैं उसमें शिक्षकों का श्रेय कम उनकी प्रतिभा ज्यादा होती है,  जो समाज का दुर्भाग्य है। वहीं निजी विद्यालयों में शोषण का चरम पर होना रही-सही कसर को पूरा करता है। आजादी के बाद लगातार शिक्षा और शिक्षक के स्तर में गिरावट चिंतनीय व विचारणीय है।

मुख्य अतिथि सीनेट, सिंडीकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि शिक्षा किसी भी समाज का आइना और शिक्षक समाज के मेरुदंड होते हैं। अगर दोनों की भूमिका जमीनी स्तर पर शत-प्रतिशत आ जाए तो सारी खामियाँ स्वतः दूर हो जाएगी। आज जो भी राष्ट्र विकास के पथ पर अग्रसर हैं, उसका मूल कारण वहाँ की व्यवस्थित शिक्षा व्यवस्था है। भारत में जंग लग चुकी प्राइमरी शिक्षा व्यवस्था को सुधार कर शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सकता है। शिक्षा व्यवस्था को सुधारे बिना समाज और राष्ट्र को आगे नहीं ले जाया जा सकता है।

विवि मुख्यालय बीएड के विभागाध्यक्ष प्रो. ललन साहनी ने परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए कहा कि आजादी के बाद भारत में हर पड़ाव पर शिक्षा की राजनीति की गई। आजादी के बाद शिक्षा व्यवस्था और छात्रों व शिक्षकों पर हमले भारत का दुर्भाग्य है। एनएसएस पदाधिकारी प्रो. संजय परमार ने कहा कि आजादी के बाद के सफर में शिक्षा व्यवस्था काफी कमजोर हुई। इस कमजोरी का मूल कारण छात्र, शिक्षक व अभिभावकों की अपनी भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन नहीं करना है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन की कार्यकारी अध्यक्ष गरिमा उर्विशा ने कहा कि संगठन लगातार अपने हक की लड़ाई के साथ सामाजिक गतिविधियों में शामिल हो सृजन को प्रयासरत है, यह शिक्षकों का दायित्व भी है।परिचर्चा का संचालन करते हुए एसोसिएशन के जिला सचिव हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि आजादी के बाद अगर सबसे ज्यादा अन्याय किसी के साथ हुआ है तो वह शिक्षा और शिक्षक है। इससे निपटते हुए उबरने की जरूरत है।

एसोसिएशन के संयुक्त जिला सचिव भारतेंदु सिंघानिया ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि भविष्य में भी संगठन ऐसे कार्यक्रमों को जारी रखेगा। उक्त परिचर्चा में एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष सोनू कुमार, प्रदीप कुमार, राजू कुमार सहित अन्य शामिल रहे।
आजादी के बाद शिक्षा और शिक्षक दोनों में गिरावट, उसे सुधारने की जरूरत - प्रो. विवेका आजादी के बाद शिक्षा और शिक्षक दोनों में गिरावट, उसे सुधारने की जरूरत - प्रो. विवेका Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 04, 2020 Rating: 5

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