उम्दा कवियित्री स्वाती शाकम्भरी मैसाम युवा सम्मान-2018 से सम्मानित

नई दिल्ली. मैथिली साहित्य महासभा (मैसाम), नई दिल्ली के द्वारा चौथे विद्यापति स्मृति व्याख्यान माला के तहत ‘मैथिली लोक साहित्य और दलित विमर्श’ विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब में किया गया. इस मौके पर तीसरा मैसाम युवा सम्मान-2018 मैथिली युवा कवयित्री स्वाती शाकम्भरी को उनकी पुस्तक कविता संग्रह ‘पूर्वागमन’ के लिए दिया गया. 


इस मौके पर वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार डॉ. महेंद्र नारायण राम ने व्याख्यान दिया और अध्यक्षता डॉ. मंत्रेश्वर झा ने की. इस मौके पर तीसरे विद्यापति स्मृति व्याख्यान पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया, जिसका संपादन संस्था के उपाध्यक्ष विनीत उत्पल ने किया. यह कार्यक्रम मैथिली भोजपुरी अकादेमी, दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. कार्यक्रम के आयोजन में दीपक फाउंडेशन का भी सहयोग रहा.  

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मैसाम युवा सम्मान पुरस्कार प्राप्त करने के बाद अपने उद्भोदन में स्वाती शाकम्भरी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिताजी को देते हुए कहा कि हर व्यक्ति के अन्दर प्रतिभा छिपी होती है, बस उसे सही समय पर निखारना होता है. यह सौभाग्य की बात है कि वह माहौल मिला और साहित्य अकादेमी के रूप में मुझे पहला मंच मिल सका. मैथिली के प्रति अपने अनुराग को दर्शाते हुए स्वाती ने कहा कि मां, मातृभाषा और मातृभूमि का जो लोग ध्यान रखें उन्हें सफल होने से कोई ताकत रोक नहीं सकती. इस मौके पर मैथिली युवा सम्मान-2018 की जूरी में शामिल निवेदिता झा और कुमकुम झा ने भी स्वाती के चुनाव को लेकर अपनी बात कही और कहा कि स्वाती की कविता समाज को सन्देश देती है.

अपने व्याख्यान में वरिष्ठ मैथिली साहित्यकार महेंद्र नारायण राम ने कहा कि साहित्य का मूल रूप समाज होता है. यहाँ किसी जाति मायने नहीं रखता है. दलित को संविधान ने कहा है कि छुआछूत वाले लोग दलित माने जाते हैं. जिसे गंदा समझा जाता है. दलित शब्द आधुनिक है लेकिन दलित परंपरा प्राचीन है. कभी दो परिपाटी था, वेदपाटी और लोकपाटी. लोकपाटी में दलित था. विश्व भर में लोक साहित्य को मान्यता दिया गया है और इससे दलित साहित्य को भी मान्यता मिली. दलित साहित्य काफी समृद्ध रहा है. मैथिली दलित समाज, साहित्य और लोकगीत दुनिया के किसी भी दलित समाज से समृद्ध रहा है.

मैथिली भोजपुरी अकादेमी, दिल्ली सरकार की ओर से डॉ. चंदन झा ने दलित समाज और उत्थान को लेकर कहा कि दलित साहित्य यदि दलित लिखेगा तो वह सत्य ही लिखेगा. मराठी से दलित साहित्य का उद्भव हुआ लेकिन मैथिली में दलित चिंतन अधिक नहीं हो पाया. ऐसे में वरिष्ठ लेखक डॉ. महेंद्र नारायण राम की विचार मार्गदर्शन करेंगे. 

कार्यक्रम की शुरुआत ‘गोसाऊनी गीत’ से हुई इसके बाद मैसाम के अध्यक्ष अमरनाथ झा ने स्वागत भाषण के तहत संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी और संस्था के उपाध्यक्ष श्रीचंद कामत ने धन्यवाद प्रदान किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. बिभा कुमारी और कंत शरण ने किया. इस मौके पर मैथिली साहित्य महासभा के सभी कार्यकर्त्ता मौजूद थे.
(वि.)
उम्दा कवियित्री स्वाती शाकम्भरी मैसाम युवा सम्मान-2018 से सम्मानित उम्दा कवियित्री स्वाती शाकम्भरी मैसाम युवा सम्मान-2018 से सम्मानित Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 09, 2018 Rating: 5

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