तमाम चुनौतियों के साथ बिहार आज पूर्ण शराबबंदी की दूसरी वर्षगाँठ मना रहा है।
एक ऐसा साहसिक फैसला जिसने कई उजड़े घर को फिर से बसा दिया। इस फैसले के लिए
निश्चित रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बधाई के पात्र हैं ।
ऐसा कहना है बिहार जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल का. उन्होंने कहा कि बिहार
में शराबबंदी की सफलता बहुत से लोगों को पसंद नही आ रही और अक्सर देखा जा रहा है
कि समाज के बीच इस तरह के लोग ये गलतफहमी डाल रहे हैं कि बिहार के जेल में 1 लाख से ज्यादा लोग शराब पीने के जुर्म में बंद है और उनमें
ज्यादातर लोग गरीब, दलित और अतिपिछड़ा हैं। जबकि ये सच्चाई से कोसों दूर है। दरअसल बिहार के सभी
जेल को मिलाकर भी 1 लाख लोगों को जेल में नहीं रखा जा सकता या यूँ कहे कि इतनी क्षमता ही नहीं है
बिहार के जेलों की।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि आज के दिन आँकड़े के तहत सभी कुछ स्पष्ट करता हूँ:- 1 अप्रैल 2016 से लेकर 31 मार्च 2018 तक कुल 6 लाख 83 हजार 370 छापेमारी हुई जिसमें 1 लाख 5 हजार 954 अभियोग दर्ज करते हुए 1 लाख 27 हजार 489 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 11 लाख 70 हजार 865 लीटर देशी शराब और 17 लाख 13 हजार 780 लीटर विदेशी शराब जब्त किए गए। अब उस आँकड़े पर आता हूँ
जिसको लेकर भ्रम फैलाया जाता है। दरअसल आज के दिन बिहार के जेल में मात्र 8,123 लोग ही जेल में है जिनमे 801 लोग बिहार के बाहर के हैं।
श्री मंडल का कहना है कि दरअसल कुछ लोग घटिया राजनीत करने के चक्कर में
सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे को भी कटघरे में डाल देते हैं। वैसे लोगों के लिए
बस एक शायरी ही काफी है।
नशा पिलाकर तो गिराना सबको आता
है
मजा तो तब है कि गिरतों को थाम
ले साकी।
(ए. सं.)
‘शराबबंदी एक साहसिक फैसला जिसने कई उजड़े घर को फिर से बसा दिया’: निखिल मंडल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 05, 2018
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