


18 अगस्त 2008 को आयी प्रलकारी बाढ़ के दृश्य को याद कर आज भी इलाके के
लोगों में सिहरन पैदा हो जाती है। कुसहा के दिये जख्म के अवशेष आज भी इलाके में
दिख रहे है। जिस पर मरहम नहीं लगाया गया है।
कोसी कुसहा के समीप पूर्वी तटबंध को तोड़कर
अपनी धारा बदली थी। धारा बदलने के
साथ ही कोसी- सीमांचल के लाखों लोगों के बीच त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई
थी। महीनों भर राजा और रंक राहत शिविर में शरण लिये हुए थे। कुसहा का ऐसा खौफ
लोगों के बीच थी कि पानी सूखने के बाद भी लोग राहत शिविर को छोड़ना नहीं चाहते थे।

सरकारी आंकड़े की बात करें तो 05 जिले के 993 गांव प्रभावित हुए थे। सरकार द्वारा स्थापित 362 राहत कैंपों में 04 लाख 40 हजार लोग शरण लिये थे। जबकि 02 लाख 36 हजार 632 घरों को ध्वस्त बताया गया था। वहीं एक हजार एक सौ पुल,
पुलिया और क्लवर्ट नदी की तेज धारा में बह गये थे। 01 हजार आठ सौ किलोमीटर कच्ची व पक्की सड़कों का क्षतिग्रस्त
का आकलन किया गया था। फसलों की बर्बादी के आकलन में रिपोर्ट मे बताया गया था कि 38 हजार एकड़ धान,15 हजार 500 एकड़ मकई एवं 06 हजार 950 एकड़ अन्य फसल बर्बाद हो गये थे। रिपोर्ट में बताया
गया था कि बाढ की चपेट में आये 362 लोगों की मौत हो गई थी वहीं 03 हजार 500 लोगों को लापता बताया गया। जबकि 10 हजार दुधारू पशुधन ,
03 हजार अन्य पशु एवं ढाई हजार
छोटे पशुओं की मौत का आकलन किया गया था.
सरकारी आंकड़े जो भी प्रस्तुत किये गए हों, लेकिन जमीनी हकीकत आंकड़ों से कई गुणा
अधिक थी। लाखों हक्टेयर जमीन पर बालू की रेत जमा हो गई थी। जो आज भी इलाके में
विद्यामन है।
त्रासदी के बाद तब के सीएम नीतीश कुमार ने इलाके का दौरा किया था। कई सभाओं
में उन्होंने कहा था कि वह एक बेहतर कोसी का निर्माण करेंगे। लेकिन त्रासदी की
पीड़ा झेल चुके लोगों की मांग है कि बेहतर कोसी का निर्माण तो नहीं कराया जा सका।
कम से कम पुराने कोसी ही उसे लौटा दें।
जिले के प्रभावित प्रखंडों में छातापुर,
त्रिवेणीगंज, बसंतपुर, राघोपुर एवं
प्रतापगंज के दर्जनों पंचायत में वर्ल्ड बैंक की सहायता से पुर्नवास योजना की
शुरूआत वर्ष 2010 में की गई थी। पुर्नवास योजना के तहत 24 हजार 889 लाभुकों का भवन तैयार करना था। जो आज भी लक्ष्य से काफी
दूर है।
त्रासदी के बाद पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायधीश राजेश वालिया
की अध्यक्षता में कोसी बांध कटान न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। जिसके 758 पन्नों के रिपोर्ट में कई खुलासे किये गये हैं।
कुसहा त्रासदी की नौवीं बरसी: जख्म को 2017 की बाढ़ ने किया ताजा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 18, 2017
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