लक्ष्मण किस्कू और सोमरा किस्कू कल जेल चले गए. आज लत्तर ऋषिदेव की बारी आई. मधेपुरा जिले के ग्वालपाड़ा थानाक्षेत्र के जय राम परसी के निवासी लत्तर के मुंह पर ‘ब्रेथ एनालाइजर मशीन’ लगाया गया और कहा गया, ‘जोर से सांस छोड़ो. और लत्तर चला गया जेल क्योंकि ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में लत्तर शराब के नशे में पाए गए. लक्ष्मण, सोमरा और लत्तर जैसे लोगों के जेल जाते ही सरकार शराबबंदी के मोर्चे पर सफल हो गई.
लक्ष्मण, सोमरा और लत्तर बड़े अपराधी हैं, सरकार की नजर में. भले ही इन्होने समाज के किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक चोट नहीं पहुंचाई हो. कल इनके परिजन कर्ज लेकर कचहरी जायेंगे और वकील से लेकर पेशकार तक को दक्षिणा देंगे, फिर भी नए कानून के तहत इन्हें जल्द जमानत नहीं दी जा सकती है.
ये कहानी सिर्फ लत्तर की नहीं है, बल्कि बिहार में लाखों ऐसे गरीब हैं जिन्हें सरकार की तरफ से कई दशकों से शराब मुहैया कराता गया है और हर कोई जानता है ये ऐसी लत है, जिसे जल्द दूर करना मुश्किल होता है. विभिन्न सरकारों द्वारा दी जा रही चीजों पर भविष्य के लिए भी इन्हें उम्मीद थी और इसी एतबार में गरीब मारा गया. कई लोगों का मानना है कि अमीर आज भी घरों में बैठकर महँगी शराब का सेवन कर रहे हैं, भले ही अब छक कर नहीं पी पा रहे हों.
मजदूरी कर रोज कमा कर परिवार के लिए दो जून की रोटी उपलब्ध कराने वाले लक्ष्मण, सोमरा और लत्तर जैसे लोग अचानक से बड़े अपराधी हो गए हैं और हत्या, बलात्कार, अपहरण आदि को अंजाम देने वालों की श्रेणी में शामिल कर दिए गए हैं. ऐसा नहीं है कि हम शराबबंदी के विरोध में हैं, शराब पीना कभी अच्छा नहीं माना जाता था और इससे पहले भी शराब पीकर नौटंकी करने वालों के लिए जेल का प्रावधान था. क्या आपको भी नहीं लगता है कि आदिवासी और दलित परिवार के इन ग़रीबों पर सरकार की मार इस बार कुछ ज्यादा ही कठोर है?
(नि.सं.)
लक्ष्मण, सोमरा और लत्तर बड़े अपराधी हैं, सरकार की नजर में. भले ही इन्होने समाज के किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक चोट नहीं पहुंचाई हो. कल इनके परिजन कर्ज लेकर कचहरी जायेंगे और वकील से लेकर पेशकार तक को दक्षिणा देंगे, फिर भी नए कानून के तहत इन्हें जल्द जमानत नहीं दी जा सकती है.
ये कहानी सिर्फ लत्तर की नहीं है, बल्कि बिहार में लाखों ऐसे गरीब हैं जिन्हें सरकार की तरफ से कई दशकों से शराब मुहैया कराता गया है और हर कोई जानता है ये ऐसी लत है, जिसे जल्द दूर करना मुश्किल होता है. विभिन्न सरकारों द्वारा दी जा रही चीजों पर भविष्य के लिए भी इन्हें उम्मीद थी और इसी एतबार में गरीब मारा गया. कई लोगों का मानना है कि अमीर आज भी घरों में बैठकर महँगी शराब का सेवन कर रहे हैं, भले ही अब छक कर नहीं पी पा रहे हों.
मजदूरी कर रोज कमा कर परिवार के लिए दो जून की रोटी उपलब्ध कराने वाले लक्ष्मण, सोमरा और लत्तर जैसे लोग अचानक से बड़े अपराधी हो गए हैं और हत्या, बलात्कार, अपहरण आदि को अंजाम देने वालों की श्रेणी में शामिल कर दिए गए हैं. ऐसा नहीं है कि हम शराबबंदी के विरोध में हैं, शराब पीना कभी अच्छा नहीं माना जाता था और इससे पहले भी शराब पीकर नौटंकी करने वालों के लिए जेल का प्रावधान था. क्या आपको भी नहीं लगता है कि आदिवासी और दलित परिवार के इन ग़रीबों पर सरकार की मार इस बार कुछ ज्यादा ही कठोर है?
(नि.सं.)
‘मारा गया गरीब इसी एतबार में’: लक्ष्मण और सोमरा किस्कू के बाद लत्तर ऋषिदेव गए जेल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 18, 2016
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बिल्कुल सही है,शराबबंदी का मै समर्थन करता हू लेकिन सरकार को शराब पीने वालो को इतनी बरी सजा नही देनी चाहिये। कम से कम तब तक जबतक बिहार से शराब पूर्ण रूप से खत्म ना हो जाए। वरना इसी तरह गरीब आदमी बर्बाद होंगे। जबसे शराबबंदी हुआ है किसी बरे आदमी को शराब पीकर पकड़ाते हुऐ नही सुने होंगे जबकि वही लोग ज्यादा पीते है।
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