मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत कलासन में बन रहे पोलिटेक्निक कॉलेज में आज से मजदूरों और कारीगरों ने हड़ताल कर दिया है.
मालूम हो कि बिहार सरकार के द्वारा करोड़ो की लागत से बन रहे पोलिटेक्निक कॉलेज का कार्य पिछले वर्षों से बहुत ही जोर शोर से चल रहा है. लेकिन आज मजदूर और कारीगरों ने काम छोड़ दिया और हड़ताल पर चले गए है. बिनोद कुमार राम, उमेश पासवान, मंगल राम ,भूषण मेहरा, चन्दन मेहरा, राजकिशोर, अनुज यादव, किताबुल, अनिल मंडल, बबलू पासवान, सुधीर सिंह, समेत दर्जनों मजदूर और कारीगरों का कहना है कि हमें इस महंगाई में सही मजदूरी नहीं मिल रही है. अभी एक खेत में काम करने वाले मजदूर को 250 रुपया और साथ में खाना दिया जाता है, लेकिन यहाँ जानवरों की तरह काम करवाता है और सही मजदूरी नहीं देकर मात्र 200 रुपया प्रतिदिन ही मजदूरी दिया जा रहा है.
वहीँ कारीगरों का भी कहना है की अभी एक कारीगर को कम से कम प्रतिदिन 450 रूपये मजदूरी मिलनी चाहिए. लेकिन हम लोगों को 350 रूपये ही दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक हम लोगों को सही मजदूरी नहीं मिल जाएगा, तब तक आंदोलन चलता रहेगा और अपनी बात जिला पदाधिकारी तक पहुंचाएंगे.
उधर प्रोजेक्ट मैनेजर संतोष कुमार पांडेय का कहना था की हम सरकारी रेट से ज्यादा मजदूरी देते है. मजदूर का सरकारी रेट का 194 रुपया प्रति दिन है. हम 200 रूपये रोज देते है. वहीं कारीगर का 203 रुपया है जबकि उन्हें 350 रूपये रोज देते हैं. लेकिन मजदूर और कारीगर का कहना है कि यह तो मनरेगा का रेट है और मनरेगा का काम अलग तरह का होता है, और उसमे 4 घंटे ही काम करना पड़ता है जबकि इसमें 8 घंटा काम करना पड़ता है. बिडिंग का काम मनरेगा अंतर्गत नहीं आता है.
विवादों के बीच सच्चाई जो भी हो और अधिकारी जो भी फैसला करें, पर काम रुकना अच्छी बात नहीं है.
मालूम हो कि बिहार सरकार के द्वारा करोड़ो की लागत से बन रहे पोलिटेक्निक कॉलेज का कार्य पिछले वर्षों से बहुत ही जोर शोर से चल रहा है. लेकिन आज मजदूर और कारीगरों ने काम छोड़ दिया और हड़ताल पर चले गए है. बिनोद कुमार राम, उमेश पासवान, मंगल राम ,भूषण मेहरा, चन्दन मेहरा, राजकिशोर, अनुज यादव, किताबुल, अनिल मंडल, बबलू पासवान, सुधीर सिंह, समेत दर्जनों मजदूर और कारीगरों का कहना है कि हमें इस महंगाई में सही मजदूरी नहीं मिल रही है. अभी एक खेत में काम करने वाले मजदूर को 250 रुपया और साथ में खाना दिया जाता है, लेकिन यहाँ जानवरों की तरह काम करवाता है और सही मजदूरी नहीं देकर मात्र 200 रुपया प्रतिदिन ही मजदूरी दिया जा रहा है.
वहीँ कारीगरों का भी कहना है की अभी एक कारीगर को कम से कम प्रतिदिन 450 रूपये मजदूरी मिलनी चाहिए. लेकिन हम लोगों को 350 रूपये ही दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब तक हम लोगों को सही मजदूरी नहीं मिल जाएगा, तब तक आंदोलन चलता रहेगा और अपनी बात जिला पदाधिकारी तक पहुंचाएंगे.
उधर प्रोजेक्ट मैनेजर संतोष कुमार पांडेय का कहना था की हम सरकारी रेट से ज्यादा मजदूरी देते है. मजदूर का सरकारी रेट का 194 रुपया प्रति दिन है. हम 200 रूपये रोज देते है. वहीं कारीगर का 203 रुपया है जबकि उन्हें 350 रूपये रोज देते हैं. लेकिन मजदूर और कारीगर का कहना है कि यह तो मनरेगा का रेट है और मनरेगा का काम अलग तरह का होता है, और उसमे 4 घंटे ही काम करना पड़ता है जबकि इसमें 8 घंटा काम करना पड़ता है. बिडिंग का काम मनरेगा अंतर्गत नहीं आता है.
विवादों के बीच सच्चाई जो भी हो और अधिकारी जो भी फैसला करें, पर काम रुकना अच्छी बात नहीं है.
मधेपुरा: पोलिटेक्निक कॉलेज निर्माण का काम मजदूरों ने रोका
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 04, 2016
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